पणजी, 15 नवंबर (भाषा) गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शुक्रवार को उपचार के नाम पर धर्मांतरण की निंदा करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजाद भारत में आज भी ऐसे चलन बदस्तूर जारी हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि लोगों को इलाज की पेशकश कर या उन्हें ठीक करके उनकी आस्था बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
सावंत ने उत्तरी गोवा के संखालिम में आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘शिक्षा या चिकित्सा के नाम पर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने के लिए शुरू की गई ये प्रथाएं देश के स्वतंत्र होने के बाद भी जारी हैं।’’
बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
धर्मांतरण का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भूलभुलैया बना दिया गया है और लोगों को ऐसे प्रचारकों से सावधान रहना चाहिए जो उपचार की आड़ में इस प्रथा में लिप्त हैं।
सावंत ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने से पहले लालच देकर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने की अंग्रेजों के जमाने की प्रथा लगातार जारी रही। उन्होंने कहा कि पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा में भी इसी तरह की प्रथा चली थी।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा था कि क्या हम आजादी के 60 साल बाद भी ब्रिटिश काल के दौरान की आदिवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने में कामयाब हुए।’’
उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आदिवासियों को पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने पर विशेष जोर दिया है।
मोदी सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों को बहाल किया और आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जैसी पहल की।
सावंत ने कहा, ‘‘आदिवासी इलाकों में माध्यमिक स्कूल शुरू किए गए ताकि उनके बच्चों को शिक्षा के लिए ‘कॉन्वेंट’ में नहीं जाना पड़े।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र देश में आदिवासी समुदाय की वित्तीय क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहा है।