नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) रियल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज के. पी. सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सभी प्रमुख शहरों में शहरी बुनियादी ढांचे के विकास का खाका तैयार करने के लिए एक ऐसी उच्चस्तरीय मंत्रिमंडल स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह किया है, जो पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था को समर्थन दे सके।
सिंह (95) ने अपनी दूसरी किताब ‘व्हाई द हेक नॉट?’ के विमोचन के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि शहरी मास्टर प्लान अल्पकालिक नहीं बल्कि 100 साल के लिए होना चाहिए।
इससे पहले उनकी आत्मकथा ‘व्हाटएवर द ऑड्स’ का विमोचन नवंबर 2011 में जीई के पूर्व चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जैक वेल्श ने किया था।
रियल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ के मानद चेयरमैन सिंह ने शहरी बुनियादी ढांचे की मौजूदा स्थिति को ‘‘बेहद खराब’’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में ‘‘ठोस कदम’’ उठाने की जरूरत है, क्योंकि भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
गुरुग्राम जैसे शहरों में यातायात की समस्या और प्रदूषण के उच्च स्तर का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ये बड़े मुद्दे हैं और ‘‘ मेरा मानना है कि देश के सर्वोच्च व्यक्ति को इसपर ध्यान देने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस बात को ध्यान में रखते हुए कि भारत एक लोकतंत्र देश है और वृद्धि होगी ही इसके लिए आप पहले से ही योजना बनाते हैं। इस वृद्धि के लिए पहले से जिस शहरी बुनियादी ढांचे की जरूरत है..उस पर यहां काम नहीं हो रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, समस्या का समाधान नहीं हो सकता।’’
सिंह ने कहा कि सोचने के तरीके को बदलने की जरूरत है, जो 1950 के दशक से काफी संकीर्ण है।
अपनी पुस्तक में उन्होंने कहा कि सड़कों, सीवरेज लाइन और जलापूर्ति जैसे शहरी बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
सिंह ने कहा, ‘‘ एक मजबूत राष्ट्र बनाने और पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए हमें अपने शहरों की नींव को मजबूत करने के लिए अपनी सामूहिक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए। हमें तेजी से शहरी बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए।’’
उन्होंने अपनी किताब में कहा, ‘‘ हमारे शहरों की गिरती स्थिति एक ‘टाइम बम’ की तरह है जो उनके विनाश का संकेत दे रही है।’’
किताब ‘व्हाई द हेक नॉट?’ लेखिका अपर्णा जैन के साथ मिलकर लिखी गई है और ‘पेंगुइन’ ने इसका प्रकाशन किया है।