नयी दिल्ली, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा का बुनियादी ढांचा एक बहुआयामी अवधारणा है जो सिर्फ ईंट-पत्थर के ढांचे विकसित करने से कहीं आगे की बात है।
शिक्षा मंत्री उच्च और तकनीकी शिक्षा पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर संबोधित कर रहे थे, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि देश को उद्योग द्वारा प्रस्तुत अवसरों का उपयोग करके एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनना होगा और वैश्विक मानकों से बेहतर शिक्षा बुनियादी ढांचे का विकास करना होगा। मंत्री ने कहा कि शिक्षा बुनियादी ढांचा एक बहुआयामी अवधारणा है और यह ईंट-पत्थर के ढांचे से कहीं आगे की बात है।
प्रधान ने अकादमिक नेताओं और प्रशासकों के लिए ध्यान केंद्रित करने को लेकर प्रमुख क्षेत्रों का भी सुझाव दिया। उन्होंने वित्त पोषण के नवीन तरीकों के माध्यम से सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को मजबूत बनाने, उद्योग की मांग और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं के अनुसार पाठ्यक्रम बनाने, ‘थिंक टैंक’ स्थापित करने, वैश्विक समस्याओं के समाधान में नेतृत्व वाली भूमिका के लिए अनुसंधान और नवाचार को लेकर बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया।
उन्होंने प्रतिष्ठित केंद्रीय या राज्य संस्थानों के साथ सहयोग के माध्यम से प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अकादमिक नेतृत्व विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और खेल, वाद-विवाद, कविता, नाटक और प्रस्तुति कला के माध्यम से परिसर जीवन की जीवंतता को पुनर्जीवित करने के अलावा, इन गैर-शैक्षणिक क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की वकालत की।
मंत्री ने भारतीय भाषाओं में शिक्षण के महत्व पर भी जोर दिया। देश के छात्रों के प्रति जवाबदेही पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत का वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस कार्यशाला का उद्देश्य एनईपी 2020 को लागू करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और तौर तरीकों का प्रसार करना, रोडमैप और कार्यान्वयन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से स्पष्ट करना, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, सभी हितधारकों को एक साथ लाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रभावी और सुचारू कार्यान्वयन को लेकर नेटवर्क बनाने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है।’’