मुंबई, 11 नवंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश को लेकर एक परिचालन रूपरेखा जारी की है। इसके तहत यदि किसी इकाई का निवेश निर्धारित सीमा को लांघता है, तो उसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में पुनर्वर्गीकृत किया जाएगा।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा वर्तमान में अपने निवेशक समूह (एफपीआई) के साथ किया गया निवेश कुल चुकता इक्विटी पूंजी (कंपनी के विभिन्न विकल्पों में मौजूद सभी शेयरों सहित) के 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए।
निर्धारित सीमा का उल्लंघन कर निवेश करने वाले किसी भी एफपीआई के पास उल्लंघन करने वाले लेनदेन के निपटान की तारीख से पांच कारोबारी दिन के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्दिष्ट शर्तों के अधीन अपनी हिस्सेदारी को बेचने या ऐसी हिस्सेदारी को एफडीआई के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने का विकल्प है।
आरबीआई ने एफपीआई द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को एफडीआई में पुनर्वर्गीकृत करने के लिए एक परिचालन रूपरेखा जारी की है।
इस रूपरेखा के अनुसार, संबंधित एफपीआई को सरकार से आवश्यक अनुमोदन तथा संबंधित भारतीय निवेशकर्ता कंपनी की सहमति लेनी होगी।
पुनर्वर्गीकरण के लिए ऐसे एफपीआई द्वारा किए गए संपूर्ण निवेश की जानकारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भुगतान का तरीका तथा गैर-ऋण साधनों की जानकारी) विनियम, 2019 के तहत निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर दी जानी चाहिए।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि जानकारी देने के बाद एफपीआई को अपने ‘कस्टोडियन’ से संपर्क कर भारतीय कंपनी के इक्विटी माध्यमों को अपने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश डीमैट खाते से अपने एफडीआई को रखने के लिए बनाए गए डीमैट खाते में स्थानांतरित करने का अनुरोध करना चाहिए।
आरबीआई ने कहा कि ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।