नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने अनुपालन बोझ कम करने के लिए उच्च मूल्य ऋण सूचीबद्ध संस्थाओं (एचवीडीएलई) की पहचान सीमा को मौजूदा 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है।
वर्तमान में 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक की सूचीबद्ध गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों का बकाया मूल्य रखने वाली इकाई को ‘उच्च मूल्य ऋण सूचीबद्ध इकाई’ कहा जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने परामर्श पत्र में एक ‘सनसेट क्लॉज’ शुरू करने का प्रस्ताव दिया है, जो किसी एचवीडीएलई का बकाया ऋण निर्दिष्ट अवधि के लिए सीमा से नीचे आने पर कामकाज संबंधी दायित्वों को समाप्त कर देगा जिससे अधिक लचीलापन आएगा।
इसने एलओडीआर (सूचीबद्धता दायित्व तथा प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियमों के अंतर्गत एक समर्पित अध्याय का सुझाव दिया है जो केवल एचवीडीएलई के लिए कॉर्पोरेट कामकाज के मानदंडों पर केंद्रित है, जो उन्हें शेयर-सूचीबद्ध संस्थाओं से अलग करता है।
सेबी ने इसके अलावा एचवीडीएलई के लिए छूट का प्रस्ताव किया है, जो कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार कंपनियां नहीं हैं। नामांकन तथा पारिश्रमिक समिति (एनआरसी), जोखिम प्रबंधन समिति (आरएमसी) और हितधारक संबंध समिति (एसआरसी) के गठन के संबंध में छूट का प्रस्ताव है।
एचवीडीएलई द्वारा अनेक समितियों के गठन से बचने के लिए सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि एचवीडीएलई का निदेशक मंडल या तो एनआरसी/आरएमसी/एसआरसी का गठन करने का विकल्प चुन सकता है या यह सुनिश्चित कर सकता है कि इन समितियों के कार्यों को लेखा परीक्षा समिति द्वारा सौंपा व निष्पादित किया जाए।
सेबी ने बृहस्पतिवार को अपने परामर्श पत्र में कहा, ‘‘ यह प्रस्ताव है कि ऋण सूचीबद्ध इकाई को एचवीडीएलई के रूप में पहचान करने के लिए सूचीबद्ध बकाया गैर-परिवर्तनीय प्रतिभूतियों की सीमा 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये की जा जाए।’’
इसके अलावा, सेबी ने एक निदेशक द्वारा कार्यरत समितियों की कुल संख्या पर एक सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया है, चाहे वह शेयर या ऋण-सूचीबद्ध संस्थाओं में हो। इससे अति-प्रतिबद्धता को रोकने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि वे अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
नियामक ने प्रस्ताव दिया है कि निदेशकों के लिए समिति की सीमा में एचवीडीएलई के साथ-साथ शेयर-सूचीबद्ध कंपनियों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि निवेशकों को सुरक्षा मिल सके और यह सुनिश्चित हो सके कि निदेशकों को प्रत्येक भूमिका के लिए पर्याप्त समय मिले।
कॉर्पोरेट कामकाज मानदंडों के तहत एचवीडीएलई के लिए इन प्रस्तावों का उद्देश्य कारोबार को सु्गम बनाना और ऐसे एचवीडीएलई में निवेशकों की रुचि बढ़ाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रस्तावों पर 15 नवंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।