देश में विमानों को बम से उड़ाने की धमकी देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, भारतीय वायु क्षेत्र में हाल ही में विमानों में बम धमकी की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। देशभर की एयरलाइंस को एक हफ्ते में 75 से ज्यादा बम की धमकियाँ मिली हैं, जिनमें से अधिकांश झूठी साबित हुईं। इन घटनाओं ने यात्रियों में डर और आतंक का माहौल पैदा किया है, जबकि एयरलाइंस और सुरक्षा एजेंसियों पर अतिरिक्त दबाव बना है। इस संदर्भ में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और अन्य संबंधित एजेंसियाँ लगातार प्रयासरत हैं कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान हो।
अकेले 19 अक्टूबर 2024 को ही 30 से अधिक विमानों को बम की धमकी मिली, जिससे हवाई सुरक्षा में चिंता बढ़ गई। अब तक कुल 75 विमानों को धमकियाँ मिल चुकी हैं। इन विमानों में विस्तारा , इंडिगो, एयर इंडिया , स्पाइसजेट ,अकासा , स्टार एअर और एलायंस एयर शामिल थीं। इस बीच, मुंबई से कोलंबो जा रही एक विस्तारा की फ्लाइट में बम की खबर मिलने के बाद सभी 96 यात्रियों और 8 क्रू सदस्यों को सुरक्षित उतारा गया। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को भी धमकियों का सामना करना पड़ा। हालाँकि जाँच के बाद यह पाया गया कि अधिकांश धमकी फर्जी थीं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हर एक फर्जी धमकी के बाद होने वाली जाँच और प्रोटोकॉल को पूरा करने में काफी समय और पैसा खर्च होता है। ऐसी हर एक धमकी पर 3 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होता है। एक अनुमान के मुताबिक, इन धमकियों से अब तक 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। साथ ही यात्रियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।क्योंकि फर्जी कॉल से आम सवारियों की सांसें हवा में ही अटक जाती है। इसके साथ ही सरकार और विमानन कंपनियों के भी हाथ पांव ठंडे पड़ने लगते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार और विमानन कंपनियों की तरफ से उठाये जा रहे सख्त कदमों के बावजूद ऐसी धमकियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे तो यही साबित होता है कि ऐसा करने वालों को किसी भी प्रकार का डर या भय रही है। हवाई यात्रा को बेहद सुरक्षित और सुगम्य साधन माना जाता है। रेलगाड़ियों में भीड़भाड़ और अधिक समय लगने से यात्रियों का एक बड़ा वर्ग हवाई यात्रा को प्राथमिकता देता है। मगर यहां भी लेटलतीफी, उड़ानों के रद्द होने और विमानों में बम रखे जाने के फर्जी संदेशों तथा धमकियों ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है। यह एक बड़ा सवाल है कि सोशल मीडिया से या ई-मेल भेज कर कोई इस तरह खुलेआम धमकी कैसे दे सकता है। यह हाल तब है जबकि ऐसे फर्जी संदेशों को पकड़ने की आधुनिक तकनीक हमारे पास उपलब्ध है। फिर भी सुरक्षा एजेंसियां झूठी धमकियां देने वालों का पता नहीं लगा पाती। आरोपी कहीं भी बैठ कर अपनी हरकत दोहराते रहते हैं। ऐसी घटनाओं से जहां एक ओर सुरक्षित यात्रा के प्रति भरोसा टूटता है, वहीं यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। इसके साथ ही विमानों में बम की 1 फर्जी कॉल से किसी भी विमानन कंपनी के कम से कम 3 करोड़ रुपये स्वाहा हो जाते हैं। इन शरारती तत्वों ने पिछले कुछ दिनों में करीब 75 विमानों में बम होने की धमकी दी है, जिससे करीब 200 करोड़ रुपये के नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बम की झूठी धमकी को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि कहीं यह वित्तीय आतंकवाद का हिस्सा तो नहीं है? एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 14 अक्टूबर को 130 टन जेट ईंधन से लदे एयर इंडिया बोइंग 777 विमान ने मुंबई से न्यूयॉर्क के जेएफके हवाई अड्डे के लिए 16 घंटे की नॉनस्टॉप उड़ान भरी। हालांकि, उड़ान भरने के तुरंत बाद एयरलाइन को बम की धमकी मिली। इस कारण एयर इंडिया के इस विमान को न्यूयॉर्क के जेएफके हवाई अड्डे पर ले जाने के बजाय दो घंटे के भीतर दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। यह घटना न केवल सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है, बल्कि एयरलाइन के लिए एक महंगा सौदा भी है। यात्रियों, सामान और कार्गो के साथ विमान का वजन करीब 340-350 टन के बीच था। बोइंग 777 विमान की लैंडिंग का अधिकतम वजन 250 टन है। सुरक्षित रूप से उतरने के लिए चालक दल को लगभग 100 टन ईधन फेंकना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे न केवल ईंधन की बर्बादी हुई, बल्कि ईधन की लागत के तौर पर 1 करोड़ रुपये का भी नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरजेंसी लैंडिंग से विमान में सवार 200 से अधिक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को होटल में ठहरने की व्यवस्था, छूटे हुए कनेक्शन के लिए मुआवजा, गहन जांच के लिए विमान को रोकना और नए चालक दल की व्यवस्था करने में विमानन कंपनी को अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, जिससे उड़ान की लागत बढ़ जाती है। एविएशन इंडस्ट्रीज के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान में बम होने की फर्जी कॉल से विमानन कंपनियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। एयरलाइन अधिकारियों ने विमान में फर्जी कॉल को वित्तीय आतंकवाद बताया है और उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि त्योहारों का सीजन है और विमान कंपनियां यात्रियों में डर का माहौल पैदा नहीं करना चाहती। यही कारण है कि एयरलाइंस किसी भी खतरे को हल्के में नहीं ले रही हैं, भले ही उन्हें विश्वसनीय माना जाए या नहीं। बम की झूठी धमकियों से सरकार भी तंग आ चुकी है। इसको देखते हुए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। नागरिक उड्यन मंत्री के राममोहन नायडू ने संकेत दिया है कि मंत्रालय अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए नागरिक उड्डयन नियमों में संशोधन पर काम कर रहा है। विमानन मंत्रालय इस तरह के खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों की समीक्षा कर रहा है। इसके अलावा मंत्रालय बम की धमकी के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को नो-फ्लाई सूची में रखने का भी निर्णय ले चुका है। इसके अलावा सरकार भी इन घटनाओं के मद्देनजर, गृह मंत्रालय ने कई सुरक्षा एजेंसियों जैसे कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, नागरिक उड्डयन ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और खुफिया ब्यूरो को निर्देश दिया है कि वे इन धमकियों की समीक्षा करें और समय-समय पर अपडेट प्रदान करें। बम की धमकियों के घटनाक्रम बेहद चिंतनीय और संवेदनशील विषय है। यात्रियों की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित होनी चाहिए और अच्छी बात है कि किसी भी धमकी को एयरलाइंस कंपनियां हल्के में नहीं ले रही है। मगर सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा? जरूरी है कि सुरक्षा एजेंसियां और सक्रिय हो और उन जड़ों तक पहुंचे जहां से धमकी भरे फोन या ईमेल आ रहे हैं। साफ है कि यह सब कुछ साजिश के तहत किया जा रहा है । इसका उद्देश्य सिर्फ आतंक और भय का माहौल पैदा करना है। इसलिए ऐसा करने वाले लोग अगर पकड़े जाते हैं, तो उनके विरुद्ध सख्त धाराओं के तहत मामले दर्ज होने चाहिए। फिलहाल जरूरत है कि धमकियों के सिलसिले को खत्म करने के लिए सभी प्रकार के कदम उठाए जाए, ताकि यात्रियों को आए दिन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। उम्मीद यही की जा सकती है कि इस मामले में हमारी सुरक्षा एजेंसियों को जल्द ही कामयाबी मिलेगी।बम की इन फर्जी धमकियों को रोकने के लिए सरकार भी सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर विमान अधिनियम-1934 और विमान नियम-1937 में संशोधन करने की दिशा में काम कर रहा है। इस संशोधन के तहत फर्जी धमकी देने वालों को 5 साल की सजा और नो-फ्लाई लिस्ट में डालने की सिफारिश की जा रही है। कानून और गृह मंत्रालय के परामर्श से एक समिति गठित की जाएगी, जो इस संशोधन का मसौदा तैयार करेगी। दरअसल अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार किसी भी धमकी की सूचना के बाद विमान को लेंड कर उसकी सघन जांच करना जरूरी होता है। इस नियम के कारण परेशानी बढ़ रही है और धमकी देने वाले मजा ले रहे हैं।