पटना, 16 अक्टूबर (भाषा) प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बुधवार को बिहार की तरारी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिंह को उम्मीदवार बनाकर चुनावी राजनीति में अपना पहला कदम रखा।
सिंह की उम्मीदवारी की घोषणा पटना में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान किशोर और उनकी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने की।
बिहार की रामगढ़, तरारी, इमामगंज और बेलागंज सीटों के लिए उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे। ये सभी सीटें इस साल की शुरुआत में विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हो गई थीं।
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने किशोर ने खुलासा किया कि पार्टी अगले महीने होने वाले तीन अन्य सीटों पर उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम कुछ ही दिनों में घोषित कर देगी।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘दिवंगत एस के सिन्हा के अलावा बिहार से सेना के एकमात्र उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सिंह की उम्मीदवारी तरारी के लिए गर्व की बात है।’’
उल्लेखनीय है कि भोजपुर जिले में आने वाली इस सीट पर उपचुनाव की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि यहां से, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) में शामिल भाकपा (माले) के विधायक सुदामा प्रसाद लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए हैं।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि वह कुछ साल पहले शुरू की गई ‘अग्निवीर’ योजना से ‘‘खुश नहीं’’ हैं।
पूर्व उप सेना प्रमुख का मानना है कि चार साल का अनुबंध ‘‘रेजिमेंटेशन के रास्ते में बाधक होगा, जो एक जवान की उस रेजिमेंट के प्रति समर्पण को दर्शाता है जिसमें वह राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करता है’’।
सिंह ने कहा, ‘‘हमें गलवान में अपने अनुभव से सीखना चाहिए, जहां चीनी सैनिकों के पास बेहतर तकनीकी जानकारी थी, लेकिन जज्बा की कमी के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मेरे बच्चे विदेश में बस गए हैं और मेरी पत्नी अब नहीं रहीं। मैं तरारी से ताल्लुक रखता हूं और यहां के लोगों का मेरे प्रति प्यार के कारण अब अपना शेष जीवन उन्हें समर्पित करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया। सेना में सेवा करने के कारण मुझे यहां जो सम्मान मिलता है, वह मैंने दिल्ली या नोएडा में कभी नहीं देखा।’’ सिंह सेवानिवृत्ति के बाद 2013 से दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में रह रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, ‘‘मैं ‘अग्निवीर’ योजना से खुश नहीं हूं लेकिन फिर भी मैं युवाओं को सेना को करियर के रूप में नहीं सोचने की सलाह कभी नहीं दूंगा। चार साल में एक जवान अपना जीवन बनाने के लिए पर्याप्त कौशल सीख लेता है। साथ ही, नीतियां बदलती रहती हैं। संभव है सरकार भविष्य में ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ की तर्ज पर इस योजना में संशोधन करे।’’
सेना में ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ किसी व्यक्ति को सीमित अवधि के लिए अधिकारी के रूप में अपने देश की सेवा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।