दक्षिण अफ्रीका में पिछली सदी के युद्धों में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की वीरता को याद किया गया

जोहान्सबर्ग, 14 अक्टूबर (भाषा) ‘साउथ अफ्रीका इंडियन लीजन (एसएआईएल)’ ने सैनिकों को सम्मानित करने के लिए वार्षिक स्मृति समारोह का आयोजन किया, जिसमें दक्षिण अफ्रीकी भारतीय मूल के स्वयंसेवकों को पिछली सदी के युद्धों में उनकी वीरता के लिए याद किया गया।

यह कार्यक्रम शनिवार को डिट्सॉन्ग राष्ट्रीय सैन्य संग्रहालय में जोहान्सबर्ग नगर परिषद के सहयोग से आयोजित किया गया।

यह समारोह दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों के सैन्य योगदान को दर्शाता है, जिनमें से ज्यादातर स्वयंसेवक थे। वे अक्सर सिर्फ सैन्य बेस के गार्ड या ट्रक ड्राइवर की भूमिका तक ही सीमित थे।

दक्षिण अफ्रीकी वायु सेना के सेवानिवृत्त सैनिक विनेश सेल्वन ने कहा, “समुदाय के ये बहादुर सदस्य रंगभेद की चुनौतियों के बावजूद अपने देश और अपने समुदाय की रक्षा के लिए सेना में शामिल हुए, हालांकि उन्हें निचले पदों पर रखा गया, लेकिन उन्होंने समर्पण के साथ काम जारी रखा।”

सेल्वन ने कहा, “1948 में जब अल्पसंख्यक श्वेत रंगभेदी सरकार सत्ता में आई, तब से भारतीयों को सशस्त्र बलों, वायु सेना और नौसेना में शामिल होने से रोक दिया गया। यह अधिकार उन्हें 1974 में वापस मिला।”

युद्धों में भारतीय सेना और वायु सेना के साथ लड़ने वाले दक्षिण अफ्रीकी लोगों को भी संगठन द्वारा सम्मानित किया गया।

सम्मानित होने वाले सैनिकों में वे सैनिक शामिल हैं जिन्होंने औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य और स्वदेशी ज़ुलु साम्राज्य के बीच 1879 के ज़ुलु युद्ध में और 20वीं सदी के अंत में दक्षिण अफ़्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। इन युद्धों में सहायक भूमिकाओं में अंग्रेजों के साथ लड़ने वाले भारत के कुछ सैनिक भी थे।

जिन लोगों को सम्मानित किया गया है, उनमें से अधिकतर भारतीय मूल के दक्षिण अफ़्रीकी हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और 11वें विश्व युद्ध में भाग लिया था।