नारियल एक संपूर्ण आहार

नारियल एक आदर्श खाद्य है। फल की प्रारंभिक अवस्था में उसमें केवल जल ही होता है जो धीरे-धीरे गिरी के रूप में परिवर्तित हो जाता है और पकने के बाद गिरी ठोस रूप ले लेती है।
नारियल अपने विशेष गुणों के कारण अत्यधिक उपयोगी है। नारियल में पानी, प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, कार्बोहाइ्रड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और विटामिन ए तथा बी होता है। इस फल में विटामिन और खनिज लवण बहुत मात्रा में पाए जाते हैं।
इसमें उच्च कोटि का वनस्पति तेल भी मिलता है जिसमें प्रोटीन साधारण मात्रा में मौजूद रहता है। गरम देशों में जहां अधिक गरमी पैदा करने वाली चीजें खाने की आवश्यकता नहीं होती, यह उपयुक्त आहार सिद्ध होता है। इसकी गिरी में रेशे होते हैं जिससे कब्ज दूर करने में सहायता मिलती है।
नारियल के छोटे- छोटे टुकड़ों में तेल के बहुत छोटे-छोटे कण होते हैं, जो आंतों को स्निग्ध करके उनमें स्थित मल को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। गुण की दृष्टि से नारियल एक संपूर्ण आहार है। इसके सेवन से आहार और पेय दोनों के सारे आवश्यक तत्व एक साथ प्राप्त हो जाते हैं और प्राकृतिक रूप में ही ग्रहण करने के कारण इसके पाचन में कठिनाई नहीं आती।
आयुर्वेद के अनुसार नारियल भारी, चिकना, शीतल, बलवर्द्धक, ओजवर्द्धक, बुद्धिवर्द्धक, कफनाशक तथा स्वादिष्ट होता है। यह तृषा, पित्त, वात तथा रक्त दोष का नाश करने वाला होता है। नारियल की सूखी गिरी भी बहुत उपयोगी होती है।
कच्चे नारियल का पानी गुण में दूध के समान ही होता है। इसे पीने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर का विकास होता है। यदि रात्रि को सोते समय इसका सेवन किया जाए तो नाड़ी संस्थान को बड़ा आराम मिलता है। व्यक्ति गहरी नींद सोता है और शरीर में ताजगी आती है, चित्त प्रसन्न रहता है।
नारियल का जल हृदय के लिए लाभकारी होता है। यह पित्त प्रकृति वालों के लिए सर्वोत्तम है। यदि शरीर में अम्लता पैदा हो जाए तो इस जल को पीने से राहत मिलती है। रक्त शुद्धि के लिए इसका पानी अत्यंत उपयोगी है।
नारियल जल के प्रयोग से अनिद्रा रोग भी दूर हो जाता है। नारियल के जल में थोड़ी बर्फ मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है। हैजे की प्यास नारियल का ताजा पानी पीने से दूर हो जाती है।
नारियल की गिरी को मिसरी के साथ खाने से प्रसव में माता को कोई कष्ट नहीं होता तथा संतान भी हृष्ट-पुष्ट होती है। नारियल के पानी में सत्तू और खांड मिलाकर खाने से मूर्छा दूर होती है। आधे सिर के दर्द में नारियल जल में कपूर मिलाकर मस्तक पर लगाने से आराम मिलता है।