नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बेंगलुरु की दो झीलों के संबंध में लोकायुक्त द्वारा दी गई उस रिपोर्ट पर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के मुख्य आयुक्त और अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है जिसमें बरसाती नालों में अवरोधक और अतिक्रमण को प्रमुख मुद्दा बताया गया है।
एनजीटी लोकायुक्त की जांच के संबंध में समाचार पत्र में प्रकाशित हुई उस खबर का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है जिसमें बेंगलुरु के विभूतिपुरा और डोड्डानेकुंडी झीलों में कई समस्याएं पाई गई थीं।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने हाल ही में दिए गए एक आदेश में कहा, ‘‘समाचार में बताया गया है कि विभूतिपुरा झील में अधिकारियों ने प्रवेश द्वार क्षतिग्रस्त पाया, बाड़ नष्ट मिली तथा परिसर के भीतर अवैध निर्माण भी पाए गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पानी निकासी अवरुद्ध होने के कारण बरसात के मौसम में भी झील का जल स्तर कम रहा। अतिक्रमण और सुविधाओं के दुरुपयोग पर भी ध्यान दिया गया। इसके अलावा, यह पाया गया कि डोड्डानेकुंडी झील में भी इसी तरह की समस्याएं हैं।’’
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘समाचार पत्र में प्रकाशित हुई यह खबर जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाता है।’’
बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त, बेंगलुरू जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष, कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवों तथा बेंगलुरू के जिलाधिकारी को हरित निकाय द्वारा प्रतिवादी और पक्षकार बनाया गया है।
न्यायाधिकरण ने बताया कि जिलाधिकारी के वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया है तथा जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।
उसने कहा, “अन्य प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख (5 नवंबर) से कम से कम एक सप्ताह पहले चेन्नई में एनजीटी की दक्षिणी क्षेत्रीय पीठ के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया गया।”