रतन टाटा को कुत्तों से बहुत प्यार था : राज ठाकरे

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मुंबई, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने बृहस्पतिवार को याद किया कि उद्योगपति रतन टाटा को भी उनकी ही तरह कुत्तों से बहुत प्रेम था । उन्होंने कहा कि टाटा के सभी परिसरों में आवारा कुत्तों के आने- जाने पर कोई रोक -टोक नहीं थी- चाहे वह ताज महल होटल हो या समूह का मुख्यालय।

मनसे प्रमुख ठाकरे ने कहा कि कुत्तों के प्रति उनके प्रेम को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

ठाकरे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि टाटा को उनके बेमिसाल परोपकार कार्यों के लिए ब्रिटेन के बकिंघम पैलेस में सम्मानित किया जाना था, लेकिन आखिरी समय में उनका पालतू कुत्ता बीमार हो गया।

ठाकरे ने बताया कि टाटा ने तत्काल ब्रिटेन के तत्कालीन राजकुमार चार्ल्स को फोन किया और खेद व्यक्त किया कि वे अपने बीमार कुत्ते को अकेला नहीं छोड़ सकते। ठाकरे ने कहा कि यह दर्शाता है कि वह कितने असाधारण इंसान थे।

उन्होंने कहा, ‘‘रतन टाटा का की यह बात बहुत ही दिल छूने वाली लगी और जो मुझे बहुत पसंद आया, वह है कुत्तों के प्रति उनका प्यार। टाटा के सभी परिसरों में आवारा कुत्तों के आने- जाने पर कोई रोक -टोक नहीं है- चाहे वह ताज महल होटल हो या समूह का मुख्यालय।।’’

टाटा समूह को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध समूह में बदलने का श्रेय पाने वाले रतन टाटा का बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र में निधन हो गया।

टाटा के निधन पर शोक जताते हुए ठाकरे ने कहा, ‘‘आज मैं एक वरिष्ठ और प्रिय मित्र को खोने का गहरा दुख महसूस कर रहा हूं, लेकिन हमारे देश ने एक राष्ट्रीय हस्ती को खो दिया है। (यह) एक अपूरणीय क्षति है।’’

ठाकरे ने कहा कि रतन टाटा के साथ उनके बहुत ही निजी और करीबी संबंध थे। मनसे प्रमुख ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्होंने टाटा के सामने कोई प्रस्ताव रखा हो और जिसे अस्वीकार कर दिया गया हो।

ठाकरे ने कहा, ‘‘जब हमने उन्हें महाराष्ट्र के विकास के लिए अपना खाका पेश किया, तो उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नासिक बॉटनिकल गार्डन के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कोष से उनकी सहज सहायता और मेरे और मेरी पार्टी के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजो कर रखा जाएगा।’’

ठाकरे ने कहा, ‘‘नासिक में जो बॉटनिकल गार्डन बनाया गया, वह हमारी ओर से कड़ी मेहनत और दृढ़ता का परिणाम था। रतन टाटा इसके गवाह थे और हालांकि शुरू में जारी की गई धनराशि पर्याप्त नहीं थी, लेकिन उन्होंने हमारे प्रयासों की ईमानदारी और काम की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए अधिक धनराशि मंजूर की।’’

मनसे प्रमुख ने कहा कि काम पूरा होने पर उन्होंने बॉटनिकल गार्डन का स्वयं दौरा किया।

 

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