गेंद की गति हमेशा मेरे दिमाग में रहती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतरता जरूरी: मयंक यादव

ग्वालियर, सात अक्टूबर (भाषा) बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैचों की श्रृंखला के शुरुआती टी 20 अंतरराष्ट्रीय में यादगार पदार्पण करने वाले तेज गेंदबाज मयंक यादव ने कहा कि तेज गति ने उन्हें हमेशा प्रभावित किया है लेकिन वह इस बात को जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फिटनेस संबंधी उतार-चढ़ाव के बीच सिर्फ निरंतरता से ही अपने करियर को आगे बढ़ा सकते हैं।

इस साल आईपीएल की दस सबसे तेज गेंद (सभी 150 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक) फेंकने वाले इस 22 साल के गेंदबाज ने अपनी गति से बांग्लादेश के बल्लेबाजों को भी परेशान किया।

उनका पहला ओवर मेडन रहा। उन्होंने अपने चार ओवर के कोटे में 14 डॉट गेंद डाली और 21 रन देकर एक विकेट हासिल किया।

मयंक ने अपने पदार्पण के बाद मैच के प्रसारक जियो सिनेमा से कहा, ‘‘ मैं उत्साहित था लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं थोड़ा नर्वस भी था क्योंकि मैं चोट से उबरने कर लगभग तीन-चार महीने बाद वापसी कर रहा था। मुझे प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले थे और फिर अचानक मुझे मौका मिला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण कर रहा था इसलिए थोड़ा घबराया हुआ था।’’

आईपीएल में लखनऊ सुपरजायंट्स के लिए खेलते हुए लगातार दो मैचों में ‘मैन ऑफ द मैच’ रहे मयंक को पेट की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण रिहैबिलिटेशन के लिए राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में लंबा समय बिताना पड़ा।

मयंक को पता है कि उन्हें पहचान तेज गेंदबाजी से मिली है लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे बने रहने के लिए लाइन लेंथ में निरंतरता जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी गति हमेशा मेरे दिमाग में रहती है, लेकिन अपनी आईपीएल यात्रा के दौरान मैंने सीखा है कि इस प्रारूप में और खासकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतरता महत्वपूर्ण है।’’

दिल्ली के इस गेंदबाज ने कहा, ‘‘लाइन और लेंथ महत्वपूर्ण हैं। लगातार सही लाइन और लेंथ से गेंदबाजी करने से वास्तव में मदद मिलती है क्योंकि बल्लेबाज आपका सम्मान करना शुरू कर देते हैं।  मैं अपनी लाइन और लेंथ को सटीक रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।’’

मयंक ने कहा कि उनके लिए चोट से उबरने के दौरान पिछले चार महीने काफी चुनौतीपूर्ण थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चोट के दौरान का समय वास्तव में कठिन था क्योंकि पिछले चार महीनों में मुझे कई चरणों से गुजरना पड़ा, उतार-चढ़ाव देखना पड़ा।’’

आईपीएल के दौरान उन्होंने लेंथ और अत्यधिक गति पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ इस गेंदबाज ने धीमी गेंदों का भी कारगर इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आईपीएल के दौरान धीमी गेंदों का अधिक उपयोग नहीं किया क्योंकि उनकी वास्तव में आवश्यकता नहीं थी। मैं अपने कप्तान (लोकेश राहुल) से बात करता था, और वह मुझे अपनी ‘स्टॉक’ गेंदों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते थे। पिच से अगर मदद मिले तो मैं ज्यादा विविधता पर ध्यान नहीं देता हूं। बांग्लादेश के खिलाफ विकेट धीमा था और थोड़ी उछाल मिल रही थी। इसलिए मुझे एहसास हुआ कि गति में बदलाव से मदद मिल सकती है।’’

मयंक ने कहा कि पदार्पण से पहले कोच गौतम गंभीर ने उन्हें ज्यादा कुछ आजमाने से बचने की सलाह दी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ उनकी सलाह थी कि अपनी मजबूती और क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ वह काम करुं जिसे मैं सबसे अच्छे से करता हूं।’’