बुखार यानी हमारे शरीर के तापमान का बढ़ जाना। जब किसी बाहरी तत्व- विषाणु, वगैरह हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हमारे शरीर को रुग्ण कर देते हैं। हमें बुखार के लक्षण प्रतीत होने लगते हैं। बुखार के कुछ आम लक्षण होते हैं- सिर में दर्द, देह में भयंकर पीड़ा, आंखों में जलन, उल्टियां, दस्त, चक्कर, शरीर में कंपन आदि। अनेक बार बुखार में उल्टियां, दस्त व खासी-सर्दी की शिकायत भी देखी जा सकती है। बुखार गर्मियों में हो सकता है, शीत में हो सकता है, वर्षा में भी हो सकता है। लोगों की एक आम धारणा होती है कि बुखार आने पर ठंडे पानी से सिर की धुलाई की जानी चाहिए। मगर ऐसी बात नहीं। बुखार के संबंध में ये कुछ बातें ध्यान देने योग्य है- बुखार के दौरान सिर धोना है या नहीं- यह सलाह अपने डॉक्टर से जरूर लेनी चाहिए। बुखार तरह-तरह के होते हैं। सर्दी जुकाम के मरीजों को भी बुखार हो सकता है। ऐसे में सिर धोने व ठंडी पट्टी रखने से मरीज को न्यूमोनिया होने का डर भी बना रहता है। बुखार आने पर विश्वसनीय डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दुकानों में दुखड़ा सुनाकर दवा लाने का अंजाम बुरा भी हो सकता है। बुखार कई किस्म के होते हैं। इसलिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। चूंकि बुखार बहुत सारे किस्म के होते हैं, जिसे एक कुशल डॉक्टर ही पकड़ सकता है। कई बार डॉक्टर पकड़ नहीं सकता है तो वह खून आदि की जांच करवाकर तह तक पहुंचता है और दवा लिखता है। मरीज की साफ-सफाई बहुत जरूरी होती है, स्प्रिट से किया जाए या गर्म या ठंडे पानी से स्पांज बाथ कराया जाए या गर्म पानी से नहलाया जाए। मरीज को भूलकर भी नीचे फर्श पर नहीं सुलाना चाहिए। नीचे सोना भी पड़े तो किसी मोटे बिस्तर पर सोना चाहिए। बच्चों का तो विशेष ध्यान रखना चाहिए। खिचड़ी, दूध रोटी, दूध दलिया- ऐसे पदार्थ मरीजों को खिलाना चाहिए। बाजार का चटपटा भोजन व तेल-मसाले वाले भोजन से चार-पांच दिन परहेज करना चाहिए और भी ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से ही पूछ लेना चाहिए कि मरीज को खाने के लिए क्या दिया जाए, क्या नहीं। बुखार के दौरान कुछ बातों का ख्याल तो रखना ही पड़ेगा। किसी जड़ी-बूटी व टोना-टोटका नहीं करवाना चाहिए। ऐसा करवाने से मरीज की समस्या और बढ़ सकती है और उसके प्राणों पर भी बन आए तो आश्चर्य नहीं होगा। बुखार के समय मरीज को ढेर सारा प्यार दें, जमकर उसकी देखभाल करें, अकेले न छोड़े और अच्छी सेवा करें।