ESIC और न्यूनतम वेतन

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ESIC सरकार की एक बेहतरीन योजना है और सभी कर्मचारियों को इसका लाभ लेना चाहिए हालांकि इस योजना के पात्र होने के लिए किसी कर्मचारी का मासिक वेतन 21,000 रूपये और दिव्यांग की दशा में ₹ 25,000 रूपये से कम होना चाहिए। वह कर्मचारी 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान  (कुछ राज्यों में यह सीमा 20 की है), में काम करना चाहिए तथा योगदान के रूप में उस कर्मचारी द्वारा अपने वेतन का एक छोटा प्रतिशत इस योजना में योगदान किया हुआ होना चाहिए जो उनके नियोक्ता के माध्यम से लिया गया हो . यह कई प्रकार के प्रतिष्ठानों पर लागू होती है जिसमें कारखाने, दुकानें, रेस्तरां, होटल, सिनेमा थिएटर और शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं तथा यह चिकित्सा, बीमारी, मातृत्व और विकलांगता लाभ सहित कई प्रकार के लाभ प्रदान करती है।

इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति और उसके परिवार को इस बीमा के दायरे में आने वाले रोजगार में प्रवेश करने के दिन से ही पूरी चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाती है। बीमित व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्य के मेडिकल खर्च की कोई सीमा नहीं है। सेवानिवृत्त और स्थायी रूप से दिव्यांग बीमित व्यक्तियों और उनके जीवनसाथियों को भी कुछ न्यूनतम रुपये के वार्षिक टोकन  प्रीमियम के भुगतान पर भी वही चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाती है।

अगर आप बीमार हैं तो बीमारी की अवधि के दौरान वेतन के 70 प्रतिशत की दर से नकद मुआवजे के रूप में 91 दिनों का सिकनेस बेनिफिट का भुगतान किया जाता है. इस सिकनेस बेनिफिट को 34 घातक और दीर्घकालिक बीमारियों के मामले में वेतन के 80 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर पर दो साल तक भी बढ़ाया जा सकता है। परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने वाले बीमित व्यक्तियों को भी पूर्ण वेतन के बराबर यह सिकनेस बेनिफिट देय है, जो क्रमशः 7 दिन से 14 दिन तक है। प्रसव एवं गर्भावस्था की दशा में मातृत्व लाभ छब्बीस सप्ताह के लिए देय है जिसे चिकित्सा सलाह पर कुछ शर्तों के साथ पूर्ण वेतन की दर से एक महीने के लिए और आगे बढ़ाया भी जा सकता है. प्रसव व्यय के रूप में यदि बीमित व्यक्ति के पत्नी या बीमित महिला कर्मचारी का प्रसव ऐसे स्थान पर होता है जहां ईएसआई योजना के तहत आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तो बीमित महिला या उसकी पत्नी को भी इस योजना के तहत राशि प्रदान की व्यवस्था है.

इसके अलावा इस योजना के तहत दिव्यांग लाभ भी मिलता है. अस्थायी दिव्यांगता नौकरी के पहले दिन से और जब तक दिव्यांगता रहती है, तब तक वेतन के 90 प्रतिशत की दर से अस्थायी दिव्यांगता लाभ देय है। स्थायी दिव्यांगता की दशा में इस लाभ का भुगतान मासिक और वेतन के 90 फीसदी की दर से किया जाता है, जो मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाणित कमाई क्षमता के नुकसान की सीमा पर निर्भर करता है।

इसके अलावा इस योजना के तहत आश्रित लाभ भी मिलता है जो आश्रितों को मिलता है. उन दशाओं में जहां मृत्यु, रोजगार की चोट या व्यावसायिक खतरों के कारण होती है वहां मृतक बीमित व्यक्ति के आश्रितों को मासिक भुगतान के रूप में मजदूरी के 90 फीसदी की दर से इस लाभ का भुगतान किया जाता है. आश्रितों या अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति को 15,000/- रुपये की राशि का भी प्रावधान है.

इसके अलावा, यह योजना बीमित श्रमिकों को कुछ अन्य आवश्यकता आधारित लाभ भी प्रदान करती है जैसे व्यावसायिक पुनर्वास , स्थायी रूप से विकलांग बीमित व्यक्ति को और शारीरिक पुनर्वास: रोजगार की चोट के कारण शारीरिक विकलांगता के मामले में। राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना के तहत एक बीमित व्यक्ति जो बीमा होने के दो या अधिक वर्षों के बाद, या कारखाने  प्रतिष्ठान के बंद होने, छंटनी या गैर-रोजगार चोट के कारण 40 फीसदी  से कम स्थायी अशक्तता के कारण बेरोजगार हो जाता है, तो वह अपने जीवन काल के दौरान अधिकतम दो वर्षों तक की अवधि के लिए मजदूरी के 50 फीसदी के बराबर बेरोजगारी भत्ता पा सकता है. साथ ही बीमित को बेरोजगारी भत्ता मिलने की अवधि के दौरान ESIC अस्पतालों से स्वयं और परिवार के लिए चिकित्सा देखभाल भी ले सकता है। साथ ही कौशल उन्नयन के लिए शुल्क यात्रा भत्ते खर्चे के लिए ESIC के खर्चे पर ही व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की भी योजना है. इसके तहत अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों को जीवन में एक बार 90 दिनों तक राहत भुगतान के रूप में भी प्राप्त हो सकता है।  

इतनी अच्छी योजना के साथ एक व्यावहारिक चुनौती भी है यदि सरकारों द्वारा न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाती है और वह इस वृद्धि के कारण वेतन 21000 रूपये मासिक से ज्यादा हो जाता है तो इस कंट्रीब्यूशन अवधि के बाद वह वेतन ESIC की इस लाभ योजना के लिए अयोग्य हो जायेगा तथा मेडिकल, दिव्यांगता और अन्य लाभ से वंचित हो जायेगा। यदि प्रतिष्ठान उसका वेतन 21000 से ज्यादा बढ़ाते हैं तो भी वह इस लाभ से वंचित हो जायेगा. अतः सरकार एक तरफ से न्यूनतम वेतन को कुशल श्रमिकों के लिए बढाकर 21000 से ज्यादा कर तो रही है लेकिन दूसरे तरफ से उस कर्मचारी को इतने बड़े लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. ऐसे में मेरा मानना है कि न्यूनतम वेतन वृद्धि के साथ साथ ESIC योजना पात्रता के वेतन सीमा में भी वृद्धि होना चाहिए ताकि न्यूनतम वेतन वृद्धि न्यायसंगत हो सके. यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह एक हाथ से देना और दूसरे हाथ से ज्यादा ले लेना जैसे हो जायेगा क्यूंकि कर्मचारियों को ESIC योजना की तुलना में कंपनियों द्वारा दी जाने वाली समूह बीमा योजना मूंगफली के बराबर ही होता है.