जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से की मुलाकात, अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए समर्थन का वादा किया

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कोलंबो, चार अक्टूबर (भाषा) भारत ने शुक्रवार को श्रीलंका को उसकी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया और बदले में श्रीलंका ने कहा कि उसकी भूमि का उपयोग नयी दिल्ली के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ यहां बैठक के दौरान राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा कि समृद्ध श्रीलंका के उनके सपने को साकार करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत का आर्थिक समर्थन महत्वपूर्ण है।

विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि दिसानायके ने यह भी दोहराया कि श्रीलंकाई क्षेत्र का उपयोग नयी दिल्ली के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा।

जयशंकर 23 सितंबर को दिसानायके के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार बनने के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति हैं। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि भारत, श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय ऋण पुनर्गठन को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेगा तथा निजी बांड धारक ऋण पुनर्गठन समझौते का समर्थन करेगा।

जयशंकर ने एकदिवसीय यात्रा के दौरान श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या और विदेश मंत्री विजिता हेराथ, विपक्षी समागी जन बालवेगया पार्टी के नेता साजिथ प्रेमदासा और पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से भी मुलाकात की।

दिसानायके के साथ अपनी बैठक के दौरान, जयशंकर ने यह भी बताया कि कैसे ऊर्जा उत्पादन एवं पारेषण तथा ईंधन एवं एलएनजी आपूर्ति के क्षेत्र में जारी पहल श्रीलंका में “आर्थिक स्थिरता में योगदान देगी और राजस्व के नए स्रोत प्रदान करेगी।

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का आर्थिक समर्थन “एक समृद्ध श्रीलंका के उनके सपने को साकार करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।”

विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा और रक्षा के मामले में बैठकों से यह बात सामने आई कि भारत और श्रीलंका के हित आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। बयान में कहा गया है, “विश्वास, पारदर्शिता और आपसी संवेदनशीलता को बढ़ावा देने वाली सतत बातचीत के महत्व को स्वीकार किया गया। राष्ट्रपति ने दोहराया कि श्रीलंकाई क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा।”

भारत श्रीलंकाई बंदरगाहों के पास चीनी अनुसंधान जहाजों की उपस्थिति पर नियमित रूप से आपत्ति जताता रहा है।

दिसानायके ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ” पर्यटन, ऊर्जा और निवेश में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। डॉ. जयशंकर ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। मत्स्य पालन, सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता के मामले पर निरंतर सहयोग देने के महत्व पर भी चर्चा की गई।”

श्रीलंका के राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग (पीएमडी) के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति दिसानायके ने श्रीलंका के हालिया आर्थिक संकट के दौरान प्रदान की गई वित्तीय सहायता के लिए भारत की सराहना की तथा निरंतर सहयोग के महत्व पर जोर दिया।

श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन प्रयासों के बारे में बात करते हुए, जयशंकर ने याद दिलाया कि भारत शुरू से ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और सुधार का समर्थन करता रहा है और यह वित्तपोषण का आश्वासन देने वाला पहला देश है, जिससे आईएमएफ को विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) को अंतिम रूप देने में मदद मिली।

विदेश मंत्री ने अंतररष्ट्रीय ‘सॉवरेन बांड’ धारकों के साथ श्रीलंका के समझौते के संबंध में आधिकारिक ऋणदाता समिति में भारत के समर्थन की भी पुष्टि की।

उन्होंने कहा, “भारत श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते को शीघ्र पूरा करने का भी इच्छुक है।”

जयशंकर ने हेराथ के साथ बैठक के दौरान ‘पड़ोसी पहले’ नीति और सागर दृष्टिकोण के आधार पर द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ बनाने की भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया।

उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीलंका को “प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के माध्यम से” भारत की तरफ से विकास सहायता दी जाती रहेगी। उन्होंने 6.15 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुदान के माध्यम से कांकेसंथुराई बंदरगाह का आधुनिकीकरण करने, दो करोड़ अमेरिकी डॉलर की सात पूर्ण हो चुकी ऋण परियोजनाओं को अनुदान में परिवर्तित करने तथा 22 डीजल ट्रेन इंजनों को उपहार स्वरूप देने के नयी दिल्ली के प्रस्तावों को सूचीबद्ध किया।

मंत्री ने श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिये जाने पर भी चिंता जताई तथा उनकी शीघ्र रिहाई पर जोर दिया।

दोनों देशों के मछुआरों को एक-दूसरे के जलक्षेत्र में अनजाने में घुसने के कारण अक्सर गिरफ़्तार किया जाता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, “आजीविका के मुद्दों पर केंद्रित मानवीय दृष्टिकोण इस मामले को सुलझाने के लिए एक स्थिर आधार तैयार करेगा। मत्स्य पालन को लेकर संयुक्त कार्यसमूह और मछुआरा संघों की बैठक समय पर होगी।”

विदेश मंत्री ने शुक्रवार को 50 भारतीय मछुआरों की रिहाई की सराहना की।

जयशंकर ने श्रीलंका की एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखते हुए समानता, न्याय, सम्मान, शांति के लिए तमिलों समेत सभी समुदायों की आकांक्षाओं के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।

विदेश मंत्रालय ने कहा, “श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन का पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन तथा प्रांतीय परिषद के चुनावों का जल्द से जल्द आयोजन इन उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक होगा।”

जयशंकर ने प्रधानमंत्री अमरसूर्या के साथ “डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण” पर चर्चा की।

श्रीलंका ने 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से अप्रैल 2022 में पहली बार अपनी अर्थव्यवस्था को दिवालिया घोषित किया था। भारत ने उस समय श्रीलंका लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी थी।

विपक्ष में रहते हुए दिसानायके ने कुछ भारतीय परियोजनाओं, विशेषकर अडानी समूह द्वारा संचालित सतत ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर आपत्तियां जताई थीं।

चुनाव से पहले, दिसानायके ने सत्ता में आने पर इन परियोजनाओं को रद्द करने का वादा किया था और दावा किया था कि ये परियोजनाएं श्रीलंका के हितों के प्रतिकूल हैं।

जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से राष्ट्रपति दिसानायके को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर भारत आने का निमंत्रण भी दिया। पीएमडी के बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति दिसानायके ने भी मोदी को श्रीलंका आने का निमंत्रण दिया है।