मुंबई, छह अगस्त (भाषा) वैश्विक व्यापार मोर्चे पर अनिश्चितताओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में यहां उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में जो भी करना आवश्यक होगा, हम करते रहेंगे। व्यापार वार्ता अब भी जारी है। हमें उम्मीद है कि हम एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंच जाएंगे।’’
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई ने केवल मौद्रिक नीति या नकदी के मोर्चे पर नहीं बल्कि विवेकपूर्ण विनियमन के मोर्चे पर भी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास अब एक मसौदा है जिसे पेश किया जाएगा ताकि कारोबार करना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार आसान हो सके।’’
भारत ने हाल ही में ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापक व्यापार समझौते किए हैं।
यूरोपीय संघ, ओमान और न्यूजीलैंड सहित कई देशों के साथ इसी तरह के समझौतों पर बातचीत जारी है।
मल्होत्रा ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्थिति में है जो 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई नीति-दर-नीति आधार पर व्यापक आर्थिक स्थितियों की निगरानी करता रहता है और उसी के अनुरूप उचित कदम उठाता है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ हमारे देश के विकास के लिए मूल्य स्थिरता और आर्थिक वृद्धि के बीच सही संतुलन सुनिश्चित करने के लिए जो भी आवश्यक होगा..हम उसमें कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’’
वास्तविक अर्थव्यवस्था पर ब्याज दरों में कटौती के असर पर उन्होंने कहा कि इसमें समय लगता है।
खराब ऋण की स्थिति के संबंध में उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की स्थिति संतोषजनक है, सकल एनपीए 2.2 प्रतिशत है जबकि शुद्ध एनपीए 0.5-0.6 प्रतिशत है।