कांग्रेस में अब भी वही आपातकाल की तानाशाही मानसिकता है: नड्डा

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नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस में अब भी वही तानाशाही मानसिकता है जो 50 साल पहले आपातकाल लगाने के पीछे थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानना ​​है कि देश पर शासन करने का अधिकार केवल एक परिवार को है।

आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर नड्डा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कांग्रेस अब भी नरेन्द्र मोदी जैसे साधारण पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने के विचार को स्वीकार नहीं कर पा रही है।

नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस संविधान की बातें करते हैं, लेकिन विपक्षी पार्टी ने आज तक आपातकाल की उस 21 महीने की अवधि के लिए माफी नहीं मांगी है जब जून 1975 से मार्च 1977 के बीच विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, प्रेस पर पाबंदियां लगाई गई थीं और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया था।

उन्होंने कहा कि उस समय संविधान में अलोकतांत्रिक संशोधन किए गए और इसकी आत्मा को विकृत किया गया।

नड्डा ने दावा किया कि कांग्रेस शासित राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति आज वैसी ही बनी हुई है जैसी आपातकाल के समय थी, जब असहमति का दमन, धार्मिक तुष्टीकरण और सत्ता का अहंकार सामने आया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने नेताओं को कुछ पत्रकारों के कार्यक्रमों में शामिल होने से रोका था।

उन्होंने कहा कि जब वह (कांग्रेस) सत्ता में होती है तो पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज करती है और विपक्ष में होने पर उनका बहिष्कार करती है।

आपातकाल में भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ सहित विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजे जाने के घटनाक्रम को याद करते हुए नड्डा ने कहा कि मोदी ने उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रचारक के रूप में तब सरकार की नीतियों को नकारते हुए कांग्रेस की ज्यादतियों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई थी।

नड्डा ने लोगों से ‘द इमरजेंसी डायरीज- ईयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ नामक पुस्तक पढ़ने का भी आग्रह किया, जिसमें आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में मोदी की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।

उन्होंने कहा कि आपातकाल और उसके परिणामों की यादों को जिंदा रखना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इंदिरा गांधी ने देश को परिवारवाद और व्यक्तिवाद की प्रयोगशाला में बदल दिया था।

नड्डा ने कहा कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने न्यायमूर्ति एच. आर. खन्ना जैसे उच्चतम न्यायालय के ईमानदार न्यायाधीश को दंडित किया था और सरकार के खिलाफ एक आदेश देने के लिए उन्हें भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद नहीं मिला था।

नड्डा ने कहा कि उस वक्त पुलिस की गोली लगने पर भी किसी व्यक्ति को अदालत जाने का कोई अधिकार नहीं था।

लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए नड्डा ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र में ‘‘एक काला अध्याय’’ है, जिसमें संविधान की ‘‘हत्या’’ की गई।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में अब भी वही तानाशाही मानसिकता है।

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