भारत के पास गहराई और अच्छे गेंदबाज हैं, महिला टी-20 विश्व कप में प्रबल दावेदारों में : लीजा स्ठालेकर

Lisa-Sthalekar

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) आस्ट्रेलिया की पूर्व कप्तान लीजा स्ठालेकर का मानना है कि भारत आगामी महिला टी20 विश्व कप में अंतिम चार में पहुंच सकता है बशर्ते उसके सलामी बल्लेबाज और गेंदबाज अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करें।

भारतीय मूल की इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग में एबीसी-इंटरनेशनल डेवलपमेंट के पांच दिवसीय क्रिकेट कमेंट्री और मोजो कार्यक्रम में देश भर से आये चुनिंदा पत्रकारों से कहा, “आस्ट्रेलियाई टीम सेमीफाइनल में होगी जिसका लक्ष्य लगातार चौथी बार खिताब जीतना है। इंग्लैंड की तैयारियां भी पुख्ता है । जहां तक भारत की बात है तो मुझे उम्मीद है कि वे सेमीफाइनल में जरूर पहुंचेंगे ।’’

उन्होंने आनलाइन बातचीत में कहा ,”भारत के पास गहराई और अच्छे गेंदबाज हैं और यदि उनके चौथे से सातवें नंबर के बल्लेबाज अच्छे स्ट्राइक रेट से रन बनाते हैं तो उनकी स्थिति काफी मजबूत होगी । उन्हें सलामी बल्लेबाजों से अच्छी शुरुआत की जरूरत है। जेमिमा रौड्रिग्स ने हाल ही में वेस्टइंडीज (सीपीएल में) में अच्छा प्रदर्शन किया। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह टी20 विश्व कप में कैसा प्रदर्शन करती हैं ।’’

2009 में टूर्नामेंट की शुरुआत के बाद से, भारत केवल एक बार 2020 में फाइनल में पहुंचने में सफल रहा है लेकिन आस्ट्रेलिया ने उसे हरा दिया था । भारत ने 2017 में महिला वनडे विश्व कप का फाइनल भी खेला है। टूर्नामेंट का नौवां संस्करण तीन अक्टूबर से संयुक्त अरब अमीरात में खेला जायेगा ।

सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमों की भविष्यवाणी करने के लिए पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “दक्षिण अफ्रीका 2023 में फाइनलिस्ट था और मुझे लगता है कि वेस्टइंडीज भी अंतिम चार में पहुंच सकता है।”

ऑस्ट्रेलियाई टीम द्वारा 2013 महिला विश्व कप जीतने के एक दिन बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करने वाली स्ठालेकर ने कहा कि हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली भारतीय टीम ट्रॉफी जीतने में सक्षम है क्योंकि टी20 क्रिकेट में एक अच्छा स्पैल पासा पलट सकता है।

उन्होंने कहा, “टी20 क्रिकेट की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कुछ भी संभव है। किसी का दिन खराब हो सकता है या कोई और बेहतरीन गेंदबाजी कर सकता है। उदाहरण के लिए 2020 के टी20 विश्व कप में पूनम यादव ने पहले मैच में चार विकेट लिए और ऑस्ट्रेलियाई मध्य क्रम को तहस-नहस कर दिया। भारत ने वह मैच 17 रन से जीता था। अगर कोई शीर्ष क्रम का भारतीय बल्लेबाज शतक बनाता है या गेंदबाजों का दिन अच्छा होता है, तो वे किसी को भी हरा सकते हैं ।’’

वनडे में 1000 रन बनाने और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर रही 45 वर्ष की स्ठालेकर ने टूर्नामेंट में छह बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के दबदबे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसके पीछे एक मजबूत घरेलू ढांचा और किसी भी स्थिति में जीतने की मानसिकता है।

स्ठालेकर ने कहा, ‘‘हमारा घरेलू ढांचा बहुत मजबूत है और हमारे पास पूरे साल चलने वाला घरेलू कार्यक्रम है जिसमें मजबूती, कंडीशनिंग, कौशल, पोषण, परीक्षण आदि शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया ने घरेलू ढांचे को मजबूत करने के लिए बहुत निवेश किया है। वे घरेलू स्तर पर बहुत कठिन प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलते हैं, इसलिए जब वे ऑस्ट्रेलियाई टीम में आते हैं, तो वे बहुत अच्छी तरह से तैयार होते हैं ।’’

उन्होंने कहा, “और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की मानसिकता है कि वे किसी भी स्थिति में जीत सकते हैं और उन्होंने ऐसा कई बार किया है।”

पुरुष और महिला विश्वकप में समान पुरस्कार राशि रखने के आईसीसी के फैसले पर खुशी जताते हुए इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि भविष्य में खेल पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

स्ठालेकर ने कहा, ” महिला विश्व कप विजेता को पुरूष टीम के समान पुरस्कार राशि मिलने से मैं जिस चीज से अधिक प्रसन्न हूं, वह यह है कि विश्व कप में भाग लेने के लिए टीमों को कितना पैसा मिल रहा है। इसलिए यह सुनिश्चित करता है कि न केवल मजबूत देश मजबूत और समृद्ध हो रहे हैं, बल्कि वैश्विक खेल को आगे बढ़ाने का प्रयास भी हो रहा है।”

उन्होंने कहा, “पदार्पण करने वाला स्कॉटलैंड भी पैसा कमाएगा, शायद अपने राष्ट्रीय अनुबंध से भी अधिक पैसा।’’

अपने खेल के दिनों में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक स्ठालेकर ने कहा है कि उन्होंने हमेशा अपनी प्रक्रियाओं को सरल रखा और इससे उन्हें अपने कैरियर में काफी मदद मिली।

उन्होंने कहा, “मेरे पिता एक खेल मनोवैज्ञानिक थे। इसलिए मैंने अपने शुरूआती वर्षों में दबाव को संभालना सीखा है। मुझे टेनिस खेलना पसंद था। मुझे पीट सम्प्रास और रोजर फेडरर को देखना पसंद था। मैंने भावनाओं को काबू में रखना और विरोधी टीम को मेरे बारे में ज्यादा नहीं बताने देना सीखा।’’

स्ठालेकर ने कहा, ‘‘मैंने अपनी प्रक्रियाओं को सरल रखा। मेरा रूटीन एक सा रहा चाहे क्लब क्रिकेट की पहली गेंद हो या विश्व कप मैच की आखिरी गेंद। मेरा मानना था कि भविष्य या अतीत में बहुत दूर नहीं सोचना चाहिए। मैंने हमेशा वर्तमान में रहने की कोशिश की।”

उन्हें लगता है कि एक अच्छे कमेंटेटर में तीन गुण होने चाहिए- शोध, सुनने का कौशल और मनोरंजन। उन्होंने कहा कि कमेंटेटरों को अच्छे तालमेल के लिए प्रोड्यूसरों और सह कमेंटेटरों की बात सुननी चाहिए।

स्ठालेकर ने कहा, “हर किसी को रिची बेनो या डैनी मॉरिसन जैसा होना ज़रूरी नहीं है। लेकिन हम सभी के पास अलग-अलग कौशल और ताकत है जो हम कमेंट्री बॉक्स में लेकर आते हैं। और यही कारण है कि अगर आप कमेंट्री बॉक्स देखते हैं, तो आपको अलग-अलग व्यक्तित्व देखने को मिलते हैं क्योंकि आप खेल को देखने वाले लाखों लोगों को कवर कर रहे होते हैं।’’