एनईपी को लेकर राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं स्टालिन : धर्मेंद्र प्रधान

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नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू न करने के मुद्दे को लेकर राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

प्रधान ने यह टिप्पणी स्टालिन के उस बयान के जवाब में की जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों के एनईपी लागू करने से इनकार करने के कारण केंद्र द्वारा समग्र शिक्षा योजना के तहत धनराशि देने से मना किया जा रहा है।

प्रधान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “लोकतंत्र में राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हमेशा स्वागत योग्य है। हालांकि, अपनी बात मनवाने के लिए राज्यों को एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा करना संविधान की भावना और एकीकृत भारत के मूल्य के खिलाफ है। एनईपी 2020 को व्यापक परामर्श के माध्यम से तैयार किया गया है और इसमें भारत के लोगों की सामूहिक ज्ञान शामिल है।”

शिक्षा मंत्री ने स्टालिन से एनईपी के प्रति राज्य के “सैद्धांतिक” विरोध पर सवाल उठाया।

उन्होंने सवाल किया, “क्या आप तमिल समेत मातृभाषा में शिक्षा का विरोध कर रहे हैं? क्या आप तमिल समेत भारतीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित करने का विरोध कर रहे हैं?”

प्रधान ने पूछा, “क्या आप तमिल सहित भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों और सामग्री के निर्माण का विरोध कर रहे हैं? क्या आप एनईपी के समग्र, बहु-विषयक, न्यायसंगत, भविष्योन्मुखी और समावेशी ढांचे के विरोध में हैं?”

स्टालिन ने आज सुबह ‘एक्स’ पर एक खबर साझा की थी जिसमें कहा गया था कि एनईपी को लागू करने से इनकार करने वाले राज्यों के लिए केंद्र द्वारा समग्र शिक्षा निधि में कटौती की जा रही है।

स्टालिन ने लिखा, “एनईपी के आगे झुकने से इनकार करने वाले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को धनराशि देने से इनकार करना, जबकि उद्देश्यों को पूरा नहीं करने वालों को उदारतापूर्वक पुरस्कृत करना – क्या इस तरह से केंद्रीय भाजपा सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समानता को बढ़ावा देने की योजना बना रही है? मैं इसका निर्णय हमारे राष्ट्र और अपने लोगों के विवेक पर छोड़ता हूं!”