राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के शैक्षिक परिदृश्य को बदल देगी: उपराष्ट्रपति धनखड़

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नोएडा, 23 जून (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) जब लागू होगी तो यह भारत के शैक्षिक परिदृश्य को बदल देगी क्योंकि यह नीति देश की “सभ्यतागत भावना, समझ और लोकाचार” के अनुरूप है।

धनखड़ ने यहां एमिटी विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा आयोजित कुलपतियों की 99वीं वार्षिक बैठक और राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अपने विचार साझा किए।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं आपसे यह जरूर कहना चाहता हूं कि तीन दशक से भी अधिक समय के बाद, कुछ ऐसा हुआ है जिसने वास्तव में हमारी शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बात कर रहा हूं।”

पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल के रूप में अपने अनुभव याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह इस नीति को बनाने में निकटता से जुड़े थे।

धनखड़ ने कहा, “तीन दशक से अधिक समय के बाद इस नीति को आकार देने में लाखों लोगों के सुझावों पर विचार किया गया।”

उन्होंने कहा, “यह नीति हमारी सभ्यतागत भावना, समझ और लोकाचार के अनुरूप है तथा इसके क्रियान्वयन से हमारी शिक्षा प्रणाली में बदलाव आएगा।”

उपराष्ट्रपति ने जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके ‘बलिदान दिवस’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसे ऐतिहासिक दिन बताया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ था।

धनखड़ ने कहा, “यह हमारे देश के इतिहास में एक महान दिन है। आज इस धरती के सबसे बेहतरीन सपूतों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है। यह नाम अपने आप में पवित्र है।”

जम्मू-कश्मीर के एकीकरण में मुखर्जी के योगदान को याद करते हुए, धनखड़ ने 1952 में अभियान के दौरान उठाए गए शक्तिशाली नारे पर प्रकाश डाला: “एक विधान, एक निशान और एक प्रधान होगा देश में, दो नहीं होंगे।”

उन्होंने कहा, “लंबे समय तक हमने अनुच्छेद 370 की वजह से कष्ट झेले, जिससे हमें और जम्मू-कश्मीर राज्य को कई तरह से नुकसान हुआ।”

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