भारत के पास दुनिया के कुल ताजे पानी का केवल चार प्रतिशत, जल संचयन का मंत्र अपनाना होगा: प्रधानमंत्री

सूरत, छह सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पानी बचाने की जरूरत पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत के पास दुनिया के कुल ताजे पानी का केवल चार प्रतिशत ही है। उन्होंने जल-संचयन के लिए जल का दुरुपयोग रोकने, उसके पुन: इस्तेमाल और रिचार्ज करने के साथ ही उसके पुनर्चक्रण के मंत्र को अपनाने का आह्वान किया।

उन्होंने जल और पर्यावरण के संरक्षण को भारत की उस सांस्कृतिक चेतना का एक हिस्सा बताया, जिसमें पानी को भगवान और नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है।

प्रधानमंत्री गुजरात के सूरत में ‘जल संचय जन भागीदारी’ पहल की शुरुआत के अवसर पर एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंस से संबोधित कर रहे थे। इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘जल संचयन के लिए हमें ‘रिड्यूस, रियूज, रिचार्ज और रिसाइकल’ के मंत्र पर बढ़ने की जरूरत है। हमें जल संरक्षण के लिए नवोन्मेषी और नवीनतम तकनीक अपनाने की भी आवश्यकता है।’’

मोदी ने कहा कि चूंकि भारत में 80 प्रतिशत पानी सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है, इसलिए ड्रिप सिंचाई जैसी स्थायी कृषि तकनीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

‘ड्रिप सिंचाई’ खेती की एक विधि है जिसमें ट्यूब, पाइप अन्य नेटवर्क के माध्यम से सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाया जाता है।

मोदी ने कहा, ‘‘जल संरक्षण, प्रकृति संरक्षण ये हमारे लिए कोई नए शब्द नहीं है। ये हमारे लिए किताबी ज्ञान नहीं है। ये हालात के कारण हमारे हिस्से आया हुआ काम भी नहीं है। ये भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उस संस्कृति के लोग हैं, जहां जल को ईश्वर का रूप कहा गया है, नदियों को देवी माना गया है। सरोवरों को, कुंडों को देवालय का दर्जा मिला है। गंगा, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी हमारी मां हैं।’’

मोदी ने कहा कि भारत के पास दुनिया के ताजे पानी के संसाधनों का केवल चार प्रतिशत है और देश के कई हिस्से जल संकट का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कई जगहों पर पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। जलवायु परिवर्तन इस संकट को और गहरा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अप्रत्याशित बारिश का जो ‘तांडव’ हुआ, उससे देश का शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जिसको संकट का सामना न करना पड़ा हो।

केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को हुए भूस्खलन में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 78 लोग अभी भी लापता हैं, वहीं अगस्त के अंतिम सप्ताह में गुजरात में मूसलाधार बारिश ने 49 लोगों की जान ले ली थी।

गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने दिनों को याद करते हुए मोदी ने कहा कि गृह राज्य में उनका पिछला अनुभव उन्हें देश में जल संकट के समाधान का भरोसा देता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जल संरक्षण के इस जन आंदोलन में न केवल नीतियां बल्कि लोगों की भागीदारी और सामाजिक प्रतिबद्धता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उन्होंने कहा कि पानी और नदियों को बचाने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये की योजनाएं दशकों से बनाई जा रही हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘लेकिन हमने परिणाम केवल पिछले 10 वर्षों के दौरान देखे क्योंकि मेरी सरकार ने ‘संपूर्ण समाज, संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण पर काम किया।’’

मोदी ने बताया कि अतीत में 3 करोड़ पानी के कनेक्शन के मुकाबले, ग्रामीण भारत में लगभग 15 करोड़ घरों को अब ‘जल जीवन मिशन’ की ‘हर घर जल’ योजना के तहत पाइप से पानी मिलता है।

उन्होंने कहा कि देश के लगभग 75 प्रतिशत घरों को अब जल जीवन मिशन के तहत नल से जल मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की भागीदारी से देश भर में करीब 7,000 अमृत सरोवर बनाए गए। भूजल पुनर्भरण के लिए हमने ‘अटल भूजल’ योजना के साथ-साथ ‘कैच द रेन’ अभियान भी शुरू किया है।

उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं ‘जल अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिसमें इंजीनियरों, प्रबंधकों, प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन के लिए नौकरियां और स्वरोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भविष्यवाणी की है कि पाइप से पानी की आपूर्ति से भारत अपने नागरिकों के लगभग साढ़े पांच करोड़ घंटे की बचत करेगा। इस समय का उपयोग हमारी अर्थव्यवस्था को विकसित करने में किया जाएगा। जल जीवन मिशन के तहत स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने से हम हर साल लगभग 4 लाख लोगों को डायरिया से बचाने में सक्षम होंगे।’’

उन्होंने शुद्ध-शून्य तरल निर्वहन मानकों और जल पुनर्चक्रण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक घरानों के योगदान को भी स्वीकार किया।

मोदी ने कहा कि गुजरात ने भूजल रिचार्ज के लिए सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) कोष का उपयोग कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण गुजरात में बोरवेल के लिए लगभग 10,000 रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया गया था और अगला लक्ष्य 24,000 रिचार्ज संरचनाओं को बनाना है। यह गुजरात सरकार, जल शक्ति मंत्रालय और लोगों की भागीदारी की संयुक्त पहल है।’’

उन्होंने कहा कि भूजल रिचार्ज का यह मॉडल अन्य राज्यों को भी इसे दोहराने के लिए प्रेरित करेगा।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सामुदायिक भागीदारी पर आधारित जल संरक्षण का गुजरात मॉडल भारत में एक अग्रणी उदाहरण रहा है।

यह पहल ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ अभियान की सफलता पर आधारित है, जो 2019 में शुरू हुआ था। कोविड काल में व्यवधानों के बावजूद, अभियान एक वार्षिक राष्ट्रव्यापी प्रयास में विकसित हुआ है। बयान में कहा गया है कि मार्च में शुरू किए गए इसके वर्तमान संस्करण में ‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ थीम के तहत जल प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व पर जोर दिया गया है।

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जब वृक्ष लगते हैं तो जमीन में पानी का स्तर तेजी से बढ़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘बीते कुछ सप्ताह में ही मां के नाम पर देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं। ऐसे कितने ही अभियान और संकल्प हैं, जो 140 करोड़ देशवासियों की भागीदारी से आज जनांदोलन बनते जा रहे हैं।’’