शिक्षा का भगवाकरण या शुद्धिकरण

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राजेश कुमार पासी
 

एनसीईआरटी नई शिक्षा नीति के तहत नए पाठ्यक्रम के अनुसार नई किताबें जारी कर रहा है । उसने कई कक्षाओं के लिए किताबें जारी कर दी हैं और इसी क्रम ने उसने कक्षा आठ के लिए सामाजिक विज्ञान भाग-एक की किताब जारी की है ।  जब से एनसीईआरटी ने अपनी सामाजिक विज्ञान की इस किताब में इतिहास को लेकर कुछ बदलाव किया है तब से यह शोर मचाया जा रहा है कि एनसीईआरटी शिक्षा का भगवाकरण कर रही है।  वास्तव में एनसीईआरटी ने इस किताब में सल्तनत काल और मुगल काल में हुए अत्याचारों की बात की है । किसी भी दल या बुद्धिजीवी ने किताब में दिए गए तथ्यों पर सवाल नहीं उठाया है बल्कि सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है। यह विमर्श चलाया जा रहा है कि मोदी सरकार शिक्षा का भगवाकरण कर रही है।

 

दूसरी तरफ भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौरान बच्चों को सच्चाई से दूर रखा गया है । सरकार चाहती है कि देश के विद्यार्थी इतिहास का सच जाने जो उनसे अभी तक छुपाया गया था। देखा जाए तो विपक्ष को मोदी सरकार के हर काम का विरोध करना जरूरी लगता है इसलिए इस काम का भी विरोध किया जा रहा है। मुख्य रूप से विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि मुग़लो को बदनाम करने की सरकार द्वारा साजिश की जा रही है। विपक्ष यह कहने की कोशिश कर रहा है कि सरकार के इस काम के कारण हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खतरा पैदा हो सकता है। सवाल यह है कि क्या झूठे इतिहास के सहारे इस भाईचारे को कायम रखने की कोशिश की जा रही है या सच को छुपाने से यह भाईचारा बना रहेगा । मुझे कभी-कभी यह समझ नहीं आता है कि विपक्ष को छोटी-छोटी बातों से हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के बिगड़ने का डर क्यों सताने लगता है। सवाल यह है कि इतिहास का सच बताने से क्या हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा खत्म हो सकता है ।

 

                 देखा जाए तो मोदी सरकार कुछ नया नहीं बताने जा रही है । जो कुछ एनसीईआरटी ने अपनी किताब में शामिल किया है उसे इतिहास के वो विद्यार्थी जानते हैं जिन्होंने मैट्रिक के बाद इतिहास को पढ़ा है। भाजपा के कुछ नेताओं और  समर्थको द्वारा यह कहा जा रहा है कि नेहरू सरकार से लेकर जो कुछ अभी तक एनसीईआरटी द्वारा पढ़ाया जा रहा था उसमें मुग़लों के बारे में झूठ बताया जा रहा था। वास्तव में यह पूरी तरह से गलत है कि पहले झूठ बोला जा रहा था और जो अब शामिल किया गया है वही सच है। वास्तव में सच बताया नहीं गया था क्योंकि सरकार को लगता था कि छोटे बच्चों को ये सच बताना सही नहीं है।

 

अगर अकबर की बात करें तो मैट्रिक के बाद बच्चे वो पढ़ते थे जो आज एनसीईआरटी द्वारा अपनी किताब में बताया गया है। अकबर ने चितौड़ पर विजय हासिल करने के बाद लगभग तीस हजार हिंदुओं की हत्या करके उनकी खोपड़ियों का मीनार बनाया था । इस ऐतिहासिक  सच को इतिहास के स्नातक करने वाले विद्यार्थी जानते थे लेकिन मैट्रिक तक पढ़ने वाले बच्चे नहीं जानते थे । सवाल यह पैदा होता है कि इस सच को छुपाने की जरूरत क्या थी बल्कि इस सच को छुपाकर तो अकबर के साथ अन्याय किया गया है। इस घटना को न जानने वाला कैसे जान सकता है कि अकबर में कितना बड़ा बदलाव आया था। क्या सम्राट अशोक ने कलिंग के युद्ध में लाखों लोगों की हत्याएं नहीं की थी ।  निर्दोष लोगों की हत्या के बाद सम्राट अशोक में  मानवता जाग गई और उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया इसलिए अशोक महान कहलाये । सवाल यह है कि इन दोनों राजाओं को देखने का नजरिया क्या है । वास्तव में महान अशोक की तुलना अकबर से नहीं की जा सकती क्योंकि अशोक ने निर्दोष जनता की हत्या नहीं की थी जबकि अकबर ने जीत के बाद आम जनता का नरसंहार किया था जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे । दूसरी तरफ कलिंग युद्ध में जो लोग मारे गए वो युद्ध में लड़ते हुए मारे गए थे न कि युद्ध जीतने के बाद मारे गए थे ।

 

               एक सच यह भी है कि अकबर ने सहनशीलता का सिद्धांत इसलिए अपनाया क्योंकि वो जान गया था कि भारत पर लंबे समय तक शासन करना है तो हिन्दुओं को साथ लेकर चलना होगा अन्यथा मुगल शासन ज्यादा देर तक नहीं चल पाएगा । उसने जो नीति अपनाई, वो उसकी राजनीति का हिस्सा था न कि उसमें मानवता जाग गई थी और वो हिन्दुओं से प्रेम करने लगा था । सम्राट अशोक में मानवता जाग गई थी इसलिए उन्होंने कोई युद्ध नहीं किया और अपनी सेना की संख्या में भी भारी कमी कर दी । कलिंग युद्ध के बाद मौर्य साम्राज्य की सेना सिर्फ रक्षा के काम तक सीमित हो गई थी और साम्राज्य का विस्तार बंद कर दिया गया था । अकबर पूरी जिंदगी युद्ध करता रहा और मुगल साम्राज्य का विस्तार करता रहा ।

 

 जहां तक अकबर की सहनशीलता की नीति का सवाल है तो वो बहुत सफल रही थी जिसके कारण औरंगजेब तक मुगल साम्राज्य बिना किसी बाधा के चलता रहा लेकिन जब औरंगजेब ने इस नीति का त्याग करके हिन्दुओं का उत्पीड़न शुरू कर दिया तो उसकी मौत तक मुगल साम्राज्य का लगभग पतन हो गया था । औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य दिल्ली के आसपास सीमित हो गया था । इस किताब में मुगलों और दिल्ली सल्तनत के बारे में विस्तार से बताया गया है । इसके अलावा इस किताब में 13वीं सदी से लेकर 17वीं सदी तक का भारत का इतिहास बताया गया है । इसमें मुगल काल और सल्तनत काल के दौरान भारत के प्रतिरोध के बारे में भी बताया गया है । इसमें सिक्खों के उत्थान के बारे में भी बताया गया है । इस किताब में इस काल के दौरान मंदिरों पर हमले और शासकों की क्रूरता का वर्णन किया गया है । पहले इस काल के बारे में सातवीं कक्षा में पढ़ाया जाता था लेकिन इन शासकों के अत्याचारों का वर्णन नहीं था । इस किताब में बताया गया है कि खिलजी वंश के शासन काल के दौरान मलिक काफूर ने श्रीरंगम, मदुरै, चिदंबरम और रामेश्वरम जैसे कई हिन्दू केन्द्रो पर हमला किया था । इन हमलों का  उद्देश्य लूट करना नहीं था बल्कि हिन्दू धर्म  को चोट पहुंचाना था । बाबर के बारे में बताया गया है कि वो बेहद क्रूर और निर्दयी विजेता था जिसने कई शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम कर दिया था । उसने महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया और कत्ल किए गए लोगों की खोपड़ियों की मीनार बनाने में उसे गर्व महसूस होता था ।

 

                इतिहास का विद्यार्थी होने के कारण मैं कह सकता हूं कि सच्चाई इससे भी कहीं ज्यादा कड़वी है जो हमें ऊंची कक्षाओं में पढ़ने को मिलती है । विपक्ष कहना चाहता है कि जनता से सच को छुपाया जाए और झूठ के सहारे इस देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को कायम रखा जाए । हमें याद रखना चाहिए कि इतिहास जैसा भी है उसको वैसे ही पढ़ना चाहिए । जर्मनी ने हिटलर के उत्पीड़न कैंपो की याद को जिंदा रखा है  ताकि देश की  जनता जान सके कि हिटलर ने यहूदियों के साथ क्या किया था । ऐसे ही सिख समाज गुरुद्वारों के जरिये याद रखता है कि उनके साथ इस्लामी शासकों ने क्या किया था । जलियांवाला बाग की यादों को सहेज कर  रखा गया है ताकि आने वाली पीढ़ी जान सके कि अंग्रेजों ने हमारे साथ क्या किया था । मोदी सरकार से पहले की सरकारों की सोच थी कि इतिहास के जरिये लोगों में सद्भावना पैदा की जाए लेकिन ऐसी कोशिश दुनिया में कहीं नहीं की जाती ।

 

मुस्लिम आक्रांताओं के बर्बर हमले और उनके द्वारा करोड़ो लोगों की गई निर्मम हत्याओं का यह कहकर बचाव किया जाता है कि जब राजा जीतते थे तो युद्ध में लोग तो मारे ही जाते  थे। जब हिन्दू राजा लड़ते थे तब भी हज़ारों लोग मारे जाते थे इसलिए इस्लामिक आक्रांताओं को कोसना कहाँ तक उचित है जबकि सच्चाई यह है कि भारत में किसी राजा ने आम जनता का नरसंहार कभी नहीं किया. जो कुछ होता था सिर्फ युद्ध के मैदान में होता था। युद्ध जीतने के बाद हिन्दू राजा हारने वाले राजा की जनता को अपनी जनता मानते थे। मुस्लिम आक्रांता आम जनता को भी दुश्मन मानते थे और बड़े-बड़े नरसंहार करते थे । चितौड़ में अकबर ने यही किया था लेकिन बाद में बंद कर दिया लेकिन दूसरे मुस्लिम आक्रांता ऐसे नरसंहार करते रहे इसलिए भारत के करोड़ों लोगों को अपनी जान देनी पड़ी ।

 

मेरा मानना है कि इतिहास जैसा भी है देश के भविष्य माने जाने वाले बच्चों को पता चलना चाहिए। वो इसे कैसे लेते हैं, ये उन पर निर्भर करता है। इतिहास को बदलना सही नहीं है और न ही छुपाना सही है लेकिन अपने नजरिये से प्रस्तुत करना गलत नहीं है । पिछली सरकार ने अपना नजरिया प्रस्तुत किया है अब नई सरकार अपना नजरिया प्रस्तुत कर रही है, इसमें गलत क्या है। अगर गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है तो विपक्ष को बताना चाहिए, बेमतलब के आरोप लगाने का कोई फायदा नहीं है। सरकार शिक्षा का न तो भगवाकरण कर रही है और न ही शुद्धिकरण कर  रही है बल्कि अपने नजरिये से प्रस्तुत कर रही है । पिछली सरकार ने जो छुपाने का प्रयास किया सिर्फ उसे जनता के सामने रख रही है ।