नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि दुनिया हमारे युग की चुनौतियों के लिए नए मॉडल और समाधान को लेकर भारत की ओर देख रही है।
प्रधान ने अकादमिक बिरादरी से अपने संस्थानों को नया स्वरूप देने और ‘‘राष्ट्रीय प्राथमिकताओं’’ को हासिल करने का आह्वान भी किया।
मंत्री ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) पर एक कार्यशाला में अपने संबोधन में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी शिक्षा को 21वीं सदी की आकांक्षाओं को संबोधित करना चाहिए और स्थानीय एवं वैश्विक चुनौतियों के लिए समाधान तैयार करना चाहिए। दुनिया हमारे युग की चुनौतियों के लिए नए मॉडल और समाधान को लेकर भारत की प्रतिभाओं की ओर देखती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकादमिक बिरादरी से आग्रह करता हूं कि वे अपने संस्थानों को नया स्वरूप देने, उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदलने और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए केंद्रित और समयबद्ध तरीके से काम करें।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘शिक्षा भारत को एक उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पादक अर्थव्यवस्था बनने की ओर ले जाएगी।’’
मंत्री ने कहा कि संस्थागत विकास योजना को हमारी जनसांख्यिकी की क्षमताओं को बढ़ाने, उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को शामिल करने, नवाचार, उद्यमशीलता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देने तथा अनुसंधान एवं विकास के वैश्विक मानक हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने कार्यशाला में यूजीसी दिशानिर्देशों का एक संग्रह भी जारी किया। प्रधान ने शिक्षा के उद्देश्य और ढांचे को फिर से परिभाषित करने, युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका के बारे में बात की।
शिक्षा मंत्री ने सरकार के लक्ष्यों में सकल नामांकन अनुपात को दोगुना करना, अधिकांश आबादी को उच्च शिक्षा के दायरे में लाना और 5,000 उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्रों में बदलने का भी जिक्र किया।