सपा लाल और सफेद जालीदार टोपी के बीच झूलती रहती है : केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ, दो सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर तंज कसते हुए सोमवार को कहा कि सपा लाल और सफेद जालीदार टोपी के बीच झूलती रहती है।

राज्य के प्रमुख विपक्षी दल सपा की लाल टोपी को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अक्सर टिप्पणी करते रहते हैं।

पिछले माह के आखिरी सप्ताह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए कहा था, “इनकी टोपी लाल है, लेकिन कारनामे काले हैं और इनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है।”

उपमुख्यमंत्री मौर्य ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में कहा, ”सपा के साथ टोपी का खेल ही निराला है। सिर पर लाल टोपी और पायजामा की जेब में सफेद जालीदार टोपी रखते हैं।”

मौर्य ने कहा कि इन दोनों टोपियों (लाल और सफेद जालीदार टोपी) के बीच सपा झूलती रहती है। उन्होंने दावा किया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2017 का प्रदर्शन दोहराएगी।

सफेद जालीदार टोपी मुसलमान लगाते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब 14 वर्ष के बाद उप्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी और तब पार्टी ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से सहयोगी दलों समेत कुल 325 सीटों पर जीत हासिल की थी। केशव प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे।

समाजवादी पार्टी (सपा) को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित आपत्तिजनक बयान के बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 30 अगस्त को कन्नौज में पलटवार करते हुए कहा था कि ”रंग अच्छा बुरा नहीं होता, नजरिया अच्छा बुरा होता है।”

यादव ने मुख्यमंत्री योगी के लाल टोपी वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा था कि योगी जी अभी लोकसभा चुनाव में मिली हार के सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।

अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर लिखा था, “लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है, वे अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं। लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है, लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है, वे लाल रंग को चुनौती मानते हैं।”

उन्होंने कहा, “इसी संदर्भ में यह मनोवैज्ञानिक मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है। काला रंग भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है। जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जाने वाला काला टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल।”