हसीना का प्रत्यर्पण भारत-बांग्लादेश संबंधों में नयी शुरुआत के लिए अहम : शीर्ष बीएनपी नेता
Focus News 31 August 2024ढाका, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करना महत्वपूर्ण है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के साथ शुरू होना चाहिए, क्योंकि भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति द्विपक्षीय संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती है।
बीएनपी में दूसरे नंबर के नेता आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंधों की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि वह ‘‘पिछले मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए’’ तैयार हैं।
आलमगीर ने यह भी आश्वासन दिया कि बीएनपी बांग्लादेशी सरजमीं पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देगी, जिससे भारत की सुरक्षा के समक्ष खतरा पैदा हो।
ढाका में अपने आवास पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में आलमगीर ने कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह आवामी लीग सरकार के दौरान हुए ‘‘विवादित’’ अडाणी बिजली समझौते की समीक्षा और पुन: मूल्यांकन करेगी, क्योंकि इससे बांग्लादेश के लोगों पर ‘‘भारी दबाव’’ पड़ रहा है।
उन्होंने दावा किया कि यह भारत की कूटनीतिक विफलता है कि वह बांग्लादेश के लोगों की मानसिकता को समझने में नाकाम रहा।
आलमगीर ने कहा कि जन आक्रोश के बीच हसीना सरकार के पतन के बाद भी ‘‘भारत सरकार ने अभी तक बीएनपी से बातचीत नहीं की है, जबकि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान पहले ही बात कर चुके हैं।’’
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक ‘‘आंतरिक मामला’’ है।
बीएनपी नेता ने कहा कि हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें ‘‘सही नहीं’’ हैं, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘शेख हसीना को खुद और अपनी सरकार द्वारा किए गए सभी अपराधों तथा भ्रष्टाचार के लिए बांग्लादेश के कानून का सामना करना पड़ेगा। इसे संभव बनाने और बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
बांग्लादेश में पांच अगस्त को सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर पहुंच गया, जिसके कारण हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भारत जाना पड़ा। भारत में तीन हफ्तों से अधिक समय से हसीना की मौजूदगी ने बांग्लादेश में अटकलों को बढ़ावा दिया है।
बीएनपी नेता ने कहा, ‘‘हम भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं और बांग्लादेश में हसीना की वापसी सुनिश्चित करना द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय होगा।’’
उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘शेख हसीना और अवामी लीग दोनों की यहां निंदा की जाती है तथा उनका साथ देने से बांग्लादेश में भारत के बारे में धारणा और खराब होगी।’’
आलमगीर ने कहा कि अगर भारत हसीना की बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां पहले ही भारत के खिलाफ गुस्सा है, क्योंकि उसे शेख हसीना की निरंकुश सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता है। अगर आप बांग्लादेश में किसी से भी पूछेंगे, तो वह यही कहेगा कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया।’’
आलमगीर ने कहा, ‘‘अब अगर भारत हसीना को बांग्लादेश में प्रत्यर्पित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच संबंध और खराब होंगे।’’
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूछा गया था कि क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध किया है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
जायसवाल ने कहा था, ‘‘बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री सुरक्षा कारणों से ऐन मौके पर दी गई सूचना के तहत भारत आईं। हमारे पास इस मामले पर कहने के लिए और कुछ नहीं है।’’
बांग्लादेश में ‘‘इंडिया आउट’’ अभियान के बारे में पूछे जाने पर आलमगीर ने कहा कि भारत के खिलाफ ‘‘साफ तौर पर’’ गुस्सा है, क्योंकि उसने कभी भी देश के लोगों के साथ संबंध स्थापित करने की जहमत नहीं उठाई, बल्कि वह केवल अवामी लीग के साथ रिश्ते कायम करके संतुष्ट था।
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश को लेकर भारत की कूटनीति व्यावहारिक नहीं थी। उसने बांग्लादेश के लोगों और अन्य हितधारकों के साथ संबंध स्थापित नहीं किए, बल्कि केवल एक ही पक्ष के साथ रिश्ते बनाए। भारत को बांग्लादेश के लोगों की नब्ज समझनी होगी।”
आलमगीर (76) ने कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और गलतफहमियों तथा पूर्व मतभेदों को हल करने की कोशिश करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें बात करनी होगी, क्योंकि मुद्दों को सुलझाने के लिए यही व्यावहारिक कूटनीति होगी। बांग्लादेश में इतनी बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भी भारत ने हमारे साथ कोई बातचीत शुरू नहीं की है।’’
बीएनपी महासचिव ने कहा कि पाकिस्तान, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के उच्चायुक्तों और राजदूतों ने ‘‘हमसे संपर्क किया और बात की है, लेकिन भारत की ओर से कोई बातचीत नहीं की गई है।’
उन्होंने कहा कि आवामी लीग सरकार के दौरान बांग्लादेश के हितों के विपरीत किए गए विवादित द्विपक्षीय समझौतों का पुन: मूल्यांकन किया जाएगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो उनकी समीक्षा की जाएगी।
आलमगीर ने कहा, ‘‘हमें आवामी लीग सरकार के दौरान भारत के साथ हुए ऐसे द्विपक्षीय समझौतों और संधियों से कोई समस्या नहीं है, जो बांग्लादेश के हित में हैं। लेकिन कुछ विवादित द्विपक्षीय संधियां और समझौते हुए हैं, जो बांग्लादेश के हित में नहीं हैं और उनकी समीक्षा किए जाने की जरूरत है।’’
उन्होंने ऐसी परियोजनाओं को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि अडाणी बिजली समझौता सूची में शीर्ष पर है, ‘‘क्योंकि इसके संबंध में कई सवाल हैं’’ और यह ‘‘बांग्लादेश के लोगों पर काफी दबाव’’ पैदा कर रहा है।
आवामी लीग की सरकार गिरने के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के मुद्दे पर उन्होंने संबंधित खबरों को ‘‘तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक’’ बताया।
आलमगीर ने कहा, ‘‘हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की खबरें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। कुछ घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन वे सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित होंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमले राजनीतिक कारणों से हो सकते हैं, क्योंकि पीड़ित अवामी लीग के कार्यकर्ता थे, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या पंथ के हों। हमने सावधानी बरती है और अपने नेताओं से हिंदू परिवारों की रक्षा करने को कहा है।’’
आलमगीर ने कहा कि ‘‘अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा’’ देश का अंदरूनी मसला है।
उन्होंने कहा, ‘‘अल्पसंख्यकों का सवाल बांग्लादेश का अंदरूनी मामला है। जब भारत इसे कोई मुद्दा बनाता है, तो बांग्लादेश को इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर संबोधित करने की आवश्यकता है। हमने कभी इस बारे में शिकायत नहीं की है कि भारतीय अल्पसंख्यकों के साथ क्या हुआ है, तो किसी को भी यहां अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।’’
आवामी लीग सरकार की अनुपस्थिति में बांग्लादेशी सरजमीं पर भारत विरोधी तत्वों के पैर जमाने की चिंताओं के बारे में पूछने पर बीएनपी मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके आलमगीर ने कहा, ‘‘बीएनपी सरकार कभी भारत विरोधी ताकतों को देश में पैर जमाने नहीं देगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश में आतंकवाद या ऐसी गतिविधियां बहुत कम हैं और स्थिति नियंत्रण में है। हम भारत को आश्वस्त कर सकते हैं कि बीएनपी कभी भारत विरोधी ताकतों या सुरक्षा खतरों को देश में पनपने नहीं देगी।’’
आलमगीर ने उम्मीद जताई कि देश में एक साल के भीतर नये सिरे से चुनाव कराए जाएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अगुवाई वाली बीएनपी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन करेगी, जैसा कि वर्ष 2000 की शुरुआत में किया गया था, इस पर आलमगीर ने कहा कि पार्टी का अभी जमात से कोई गठबंधन नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘जमात के साथ हमारा गठबंधन बहुत पहले ही खत्म हो चुका है। लेकिन हाल के जन विद्रोह के दौरान आवामी लीग सरकार के खिलाफ हमने कई बार संयुक्त कार्यक्रम आयोजित किए। अभी हमारा जमात से कोई गठबंधन नहीं है।’’