कोहिमा, नगालैंड सरकार की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने नगा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शीर्ष जनजातीय निकायों और नागरिक समाज संगठनों के साथ परामर्श बैठकें करने का फैसला किया है।
नगालैंड सरकार के प्रवक्ता और संसदीय मामलों के मंत्री के. जी. केन्ये ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और राज्य के दो सांसदों की उपस्थिति में हुई पीएसी की बैठक में यह निर्णय किया गया है।
रियो सरकार ने नगा राजनीतिक मुद्दे का जल्द से जल्द निपटारा करने के लिए नवंबर 2023 में पीएसी का गठन किया था।
पीएसी में राज्य विधानसभा में आठ राजनीतिक दलों के 60 सदस्य शामिल हैं, जिनमें नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) (आरपीआई-ए), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (लोजपा-आरवी), जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू), निर्दलीय विधायक और कांग्रेस सांसद भी हैं।
केन्ये ने कहा कि केंद्र सरकार एनएससीएन-आईएम और नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की कार्य समिति के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही है।
उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों द्वारा विभिन्न नगा समूहों से एक साथ आने और वार्ता के लिए एकजुट होने की अपील के बावजूद, वे एक साथ नहीं आ रहे हैं और एक-दूसरे से मिल भी नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दो प्रमुख समझौतों-एनएससीएन-आईएम के साथ रूपरेखा समझौता और डब्ल्यूसी एनएनपीजी के साथ सहमति वाली स्थिति पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन रूपरेखा समझौते के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनका उल्लेख नहीं किया गया और वे सार्वजनिक नहीं हुए हैं जबकि सहमति वाली स्थिति को सार्वजनिक कर दिया गया है।
केन्ये ने कहा कि पीएसी का मानना है कि राज्य सरकार को जन संगठनों, नागरिक समाजों, जनजातीय निकायों और शीर्ष निकायों से संपर्क करना चाहिए तथा उनसे इस बारे में उनके विचार और राय लेनी चाहिए कि नगा समाज के समक्ष लंबे समय से जो समस्या उत्पन्न हुई है, उसका समाधान कैसे किया जाए।