मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के घाट खंड पर बढ़ाई जा सकती है भारी वाहनों की गति सीमा

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मुंबई, 22 जून (भाषा) मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के भोर घाट खंड पर भारी वाहनों की गति सीमा बढ़ई जा सकती है।

अधिकारियों और ट्रांसपोर्टरों के अनुसार, पुणे से मुंबई की ओर ढलान पर स्थित खंडाला घाट में ट्रकों और बसों के लिए मौजूदा 40 किलोमीटर प्रति घंटे की सीमा को 45 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा करने पर विचार किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि घाट के 10 किलोमीटर हिस्से में कार के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटे की सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा।

एक्सप्रेसवे के अन्य हिस्सों में हल्के वाहनों के लिए सीमा 100 और भारी वाहनों के लिए 80 किलोमीटर प्रति घंटा है।

उन्होंने दावा किया कि पुणे जिले के लोनावाला और रायगढ़ जिले के खालापुर के बीच स्थित घाट खंड पर वर्तमान गति सीमा के कारण लगातार ई-चालान जारी होते हैं, क्योंकि भारी वाहनों के लिए तीव्र ढलान पर धीमी गति से चलना चुनौतीपूर्ण होता है, इससे यातायात धीमा हो जाता है और दुर्घटनाएं होती हैं।

ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि ‘इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम’ (आईटीएमएस) लागू होने के बाद चालान के मामले बढ़े हैं, पहले गति संबंधित यातायात उल्लंघन पर 2,000 रुपये जुर्माना लगता है।

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी), राजमार्ग पुलिस, राज्य परिवहन विभाग व ट्रांसपोर्टरों ने हाल में संयुक्त सर्वे किया था।

बस ऑपरेटर और मुंबई बस मालिक संघ के नेता हर्ष कोटक ने वाहन चालकों के सामने आने वाली चुनौतियों के व्यावहारिक पहलू को समझाया।

उन्होंने कहा, “विशेष गियर में वाहन केवल 7-10 किमी प्रति घंटे की गति तक ही पहुंच सकते हैं, जबकि पहले गियर में यह 25-28 किमी प्रति घंटे और दूसरे गियर में 45-47 किमी प्रति घंटे की गति होती है। लेकिन अगर आप पहले गियर में बहुत देर तक रहते हैं, तो वाहन रेंगता है और यातायात को बाधित करता है। दूसरे गियर में, आप या तो गति सीमा को पार कर जाते हैं या अत्यधिक ब्रेक लगाने के कारण ब्रेक ड्रम को गर्म कर देते हैं।”

कोटक ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे “वैज्ञानिक रूप से” गति सीमा 50 किमी प्रति घंटा निर्धारित करें।

उन्होंने कहा, “इस 10 किलोमीटर के घाट खंड पर लगभग 30 प्रतिशत ई-चालान भारी वाहनों को जारी किए जाते हैं, जो अक्सर 43 से 50 किमी प्रति घंटे की गति के लिए होते हैं।”

महाराष्ट्र परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्हें गति सीमा के संबंध में ट्रांसपोर्टरों से कई शिकायतें मिली हैं।

उन्होंने चिंता को जायज बताया, क्योंकि भारी वाहनों के लिए तीव्र ढलान पर इतनी कम गति बनाए रखना “व्यावहारिक रूप से कठिन” है।

एमएसआरडीसी के एक अधिकारी ने कहा कि गति सीमा में वृद्धि पर चर्चा के लिए राजमार्ग पुलिस द्वारा बैठक बुलाए जाने की उम्मीद है।

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