नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) भारत के अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की है।
दो साल पहले देश के लिए अपना अंतिम मैच खेलने वाले इस वामहस्त बल्लेबाज ने कहा कि वह तीनों प्रारूपों में देश का प्रतिनिधित्व करने के बाद एक संतुष्ट इंसान के तौर पर इस खेल को अलविदा कह रहे हैं।
इस 38 साल के खिलाड़ी ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विशाखापट्टनम में एकदिवसीय मैच के साथ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को शुरू किया था। उन्होंने देश के लिए अपना आखिरी मैच 2022 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला।
धवन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मैं अपनी क्रिकेट यात्रा का यह अध्याय समाप्त कर रहा हूं लेकिन मेरे साथ अनगिनत यादें हैं और मैं बहुत आभारी हूं। प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद। जय हिंद।’’
उन्होंने इस पोस्ट के जारी वीडियो में कहा, ‘‘ नमस्कार सभी को, आज मैं एक ऐसे मोड़ पर खड़ा हूं जहां से पीछे देखने पर सिर्फ यादें ही नजर आती हैं और आगे देखने पर पूरी दुनिया। मेरी हमेशा से सिर्फ एक ही मंजिल थी भारत के लिए खेलना और वो हुआ भी जिसके लिए मैं कई लोगों का शुक्रगुजार हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वो कहते हैं ना कहानी में आगे बढ़ने के लिए पन्ने पलटना जरूरी है, बस मैं भी ऐसा ही करने जा रहा हूं। मैं अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट से अपने संन्यास की घोषणा करता हूं। और अब जब मैं अपनी क्रिकेट यात्रा को अलविदा कर रहा हूं तो मेरे दिल में सुकून है कि मैं अपने देश के लिए बहुत खेला।’’
धवन ने भारत के लिए 34 टेस्ट, 167 एकदिवसीय और 68 टी20 मैच खेले हैं।
धवन का क्रिकेट सोनेट क्लब में परवान चढ़ा और पश्चिम दिल्ली के इस खिलाड़ी को मैदान पर हर परिस्थिति में संघर्ष करने वाले क्रिकेट के तौर पर जाना जाता है।
धवन ने भारत के लिए 34 टेस्ट, 167 वनडे और 68 टी20 अंतरराष्ट्रीय में भाग लिया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खराब फॉर्म और यशस्वी जयसवाल और शुभमन गिल जैसी युवा सलामी बल्लेबाजों के उभरने के कारण उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा।
उन्होंने 50 ओवर के प्रारूप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिसमें उन्होंने 44.11 की औसत से 6,793 रन बनाए। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 40.61 की औसत और सात शतक की मदद से 2,315 रन बनाए।
धवन ने कहा, ‘‘ मैं बहुत शुक्रगुजार हूं, बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) और डीडीसीए (दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ) का, जिन्होंने मुझे मौका दिया और सारे फैन्स का जिन्होंने मुझे इतना सारा प्यार दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुद से यही बात कहता हूं कि तू इस बात से दुखी मत हो कि तू अपने देश के लिए फिर नहीं खेलेगा, पर इस बात की खुशी अपने पास रख कि तू देश के लिए खेला और यही मेरे लिए सबसे बड़ी बात है।’’
दिल्ली में जन्में इस बल्लेबाज ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की यादगार शुरुआत नहीं की और दो गेंदों पर शून्य पर आउट हो गए थे।
धवन ने शुरुआती संघर्षों के बाद, 2013 में भारतीय टीम में वापसी की और इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के विजयी अभियान में ‘प्लेयर-ऑफ-द-टूर्नामेंट’ बनने सहित कुछ बेहतरीन प्रदर्शन के साथ तीनों प्रारूपों की टीम में अपनी जगह पक्की कर ली।
उनके शानदार करियर का एक मुख्य आकर्षण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण पर मोहाली में खेली गयी 185 रन की शानदार पारी थी, जिसमें उन्होंने केवल 85 गेंदों में अपना शतक पूरा किया था।
धवन हालांकि अपने पहले टेस्ट मैच में गेंद का सामना करने से पहले ही आउट हो सकते थे। भारत की पारी की पहली गेंद मिचेल स्टार्क के हाथ से छूटकर स्टंप पर गिर गई और नॉन-स्ट्राइकर छोर पर वह क्रीज से बाहर थे।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने अपील नहीं की और धवन ने इसका पूरा फायदा उठाते हुए टेस्ट पदार्पण में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बनाया।
अपने खेल के चरम पर, दिल्ली का यह धाकड़ खिलाड़ी अपने स्ट्रोक की विविधता और ताकतवर शॉट के लिए जाना जाता था।
धवन उन लोगों को धन्यवाद देना नहीं भूले जिन्होंने भारतीय बल्लेबाजी क्रम में शीर्ष पर रोहित शर्मा के साथ बेहतरीन साझेदारी करके उन्हें महान खिलाड़ी बनने में मदद की।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मन में हमेशा एक लक्ष्य था कि भारत के लिए खेलना और मैंने इसे कई लोगों की बदौलत हासिल किया। सबसे पहले मेरे परिवार, मेरे बचपन के कोच तारक सिन्हा और मदन शर्मा, उनके मार्गदर्शन में मैंने क्रिकेट सीखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर मेरी पूरी टीम, जिसके साथ मैंने वर्षों तक खेला, इस दौरान मुझे एक और परिवार, प्रसिद्धि और सभी का प्यार और समर्थन मिला।’’
धवन आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के महान खिलाड़ियों में शामिल हैं। उन्होंने इस लीग में 222 मैचों में 6769 रन बनाये। इसमें दो शतक और 51 अर्धशतक शामिल हैं।
टूर्नामेंट में उनके 768 चौके किसी भी बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक हैं। वह इसमें लगातार दो मैचों में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी भी हैं।
वह 2016 सत्र में खिताब जीतने वाली सनराइजर्स हैदराबाद टीम का हिस्सा थे। वह दिल्ली, मुंबई और पंजाब की फ्रेंचाइजी टीमें लिए भी खेल चुके हैं। इनमें से उन्होंने अपने करियर के विभिन्न चरणों में दिल्ली और पंजाब की फ्रेंचाइजी कप्तानी भी की है।
वह पिछले सत्र में पंजाब किंग्स टीम का हिस्सा थे लेकिन फिटनेस समस्याओं के कारण केवल पांच मैच ही खेल पाए।