नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को ‘ग्लोबल साउथ’ यानी अल्पविकसित देशों के लिए एक व्यापक व मानव-केंद्रित “वैश्विक विकास समझौते” का प्रस्ताव रखा और कहा कि इससे व्यापार, सतत विकास, प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और परियोजनाओं के रियायती वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित होगा।
भारत द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित तीसरे ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ” सम्मेलन में इस नयी पहल की घोषणा करते हुए मोदी ने कहा कि इससे जरूरतमंद देशों पर विकास वित्त के नाम पर कर्ज का बोझ नहीं पड़ेगा।
मोदी ने कहा कि यह समझौता ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों द्वारा निर्धारित विकास प्राथमिकताओं से प्रेरित होगा।
शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में उन्होंने कहा, “मैं भारत की ओर से एक व्यापक वैश्विक विकास समझौते का प्रस्ताव रखना चाहूंगा। इस समझौते की नींव भारत की विकास यात्रा और विकास साझेदारी के अनुभवों पर आधारित होगी।”
मोदी ने कहा, “यह विकास के लिए मानव-केंद्रित और बहुआयामी होगा और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा। इससे जरूरतमंद देशों पर विकास वित्त के नाम पर कर्ज का बोझ नहीं पड़ेगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल से भागीदार देशों के संतुलित और सतत विकास में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “इस समझौते के तहत, हम विकास के लिए व्यापार, सतत विकास के लिए क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान, परियोजना पर केंद्रित रियायती वित्त व अनुदान पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
उन्होंने कहा, “व्यापार-संवर्धन गतिविधियों को मजबूत बनाने के लिए, भारत 25 लाख अमेरिकी डॉलर का एक विशेष कोष शुरू करेगा। क्षमता निर्माण के लिए व्यापार नीति और व्यापार वार्ता में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया भर में विभिन्न संघर्षों और तनावों का समाधान समावेशी वैश्विक शासन में निहित है।
उन्होंने कहा, “आपने तनाव और संघर्ष से संबंधित चिंताओं को भी उठाया है। यह हम सभी के लिए एक गंभीर मुद्दा है। इन चिंताओं का समाधान न्यायपूर्ण और समावेशी वैश्विक शासन पर निर्भर करता है।”
मोदी ने कहा, “ग्लोबल नॉर्थ (विकसित देश) और ग्लोबल साउथ के बीच अंतर को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। अगले महीने संयुक्त राष्ट्र में होने वाला भविष्य का शिखर सम्मेलन इन सबके लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन सकता है।”
उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के महत्व पर भी बात की।
मोदी ने कहा, “भारत ग्लोबल साउथ के देशों में वित्तीय तनाव और विकास वित्तपोषण के लिए ‘एसडीजी स्टिमुलस लीडर्स ग्रुप’ में सहयोग कर रहा है। हम ग्लोबल साउथ को सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए काम करेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम औषधि नियामकों को प्रशिक्षित करने में भी सहायता करेंगे। हमें कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव और प्रौद्योगिकी को साझा करने में खुशी होगी।”
पिछले कुछ वर्षों से, भारत ‘ग्लोबल साउथ’ विशेषकर अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को उजागर करते हुए खुद को एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित कर रहा है।
पिछले साल जी20 अध्यक्ष के रूप में, भारत ने ग्लोबल साउथ को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और न्यायसंगत वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।