महाभारत युद्ध न हुआ होता तो परिस्थितियां कैसी होती

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अगर महाभारत का युद्ध नहीं होता तो दुनिया एक बहुत बड़े संघर्ष से बच जाती लेकिन धर्म और ज्ञान के संदर्भ में इसके कई अलग-अलग प्रभाव हो सकते थे। कुछ संभावित परिणाम ये हैं: हो सकता है कि दुर्योधन और कौरव और अधिक शक्तिशाली हो जाते या पांडवों के साथ शांति समझौता हो जाता। संभावित परिणाम पांडवों को न्याय, यदि पांडवों को उनका राज्य मिल जाता .

 

महाभारत का युद्ध एक विशालकाय युद्ध था. बड़े पैमाने पर लड़ा गया. जान माल का काफी नुकसान हुआ. यह तो द्वापर युग का एक युद्ध था, जो तीर कमानो से लड़ा गया.

आज वर्तमान मेँ यदि विश्व मेँ देखने को युद्ध मिलते हैँ तो बन्दूक, तोप, और नूइक्लियर तकक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जापान मेँ 

नागासकी हीरोशिमा पर एटम बम का प्रभाव आज तक देखने को मिल रहा है. 

एक तरफ पाकिस्तान एटम बम की  बात करता है तो कुछ देश शांति की. 

इसी पर विस्तार से आगे चर्चा जारी रखेंगे.

 

अकबर और राणा प्रताप का हल्दी घाटी युद्ध, पानीपत की लड़ाई. 

1962 मेँ भारत चीन युद्ध, 1965 पकस्तान भारत युद्ध, 1971 बांग्लादेश के लिए भारत ने पाकिस्तान को सेरेंडर कराया. 

आजकन इजराइल हमसे की लड़ाई और अभी रूस युक्रेन युद्ध चल रहा है. विश्व मेँ शांति की बातें भी चल रही हैँ. यह सब क्या मोड़ लेगा, इसी को देखना है.

 

अमरीका बिचोला बन विश्व शांति की बात कर रहा है तो भारत  यू एन मेँ स्थाई सदस्यता मिलने की उम्मीद से विश्व गुरू की और नई पायदान को छूने जा रहा है.

 

प्रश्न है क्योंकि “जब से दुनिया बनी है” के बाद से हुए युद्धों की संख्या को गिनना असंभव है, और “शांति के लिए लड़े गए” का अर्थ अस्पष्ट है हालांकि, पिछले 100 वर्षों में 260 से अधिक बड़े युद्ध और संघर्ष हुए हैं जिसके परिणामस्वरूप 15 करोड़ से अधिक लोगों की जान गई है। 

 

 

यह अनुमान लगाना असंभव है कि जब से दुनिया बनी है तब से युद्ध और शांति के लिए कितने संघर्ष हुए हैं।

इतिहास में ऐसे बहुत से युद्ध हुए हैं जिनमें शांति समझौते और संधियाँ हुईं, लेकिन “शांति के लिए लड़े गए” संघर्षों को अलग से नहीं गिना जा सकता है।

अतीत में बहुत से युद्धों के परिणाम और प्रभाव को आज भी देखा जा सकता है, और उनके कारण कई संघर्ष भी हुए। 

संक्षेप में, यह एक सामान्य प्रश्न है जो ऐतिहासिक डेटा के अभाव के कारण इस तरह की जानकारी देना कठिन है।

 

युद्ध के कारणों में संसाधनों (भूमि, जल, खनिज), राजनीतिक दबदबे और क्षेत्रीय विस्तार की चाहत, धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद, आर्थिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं शामिल हैं। अक्सर ये सभी कारण मिलकर युद्ध को जन्म देते हैं, जहाँ राष्ट्रों के हित टकराते हैं। 

प्रमुख कारण:

संसाधन संघर्ष: भूमि, पानी, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर संघर्ष होते हैं।

राजनीतिक कारण: सत्ता की लालसा, क्षेत्रीय विस्तार और किसी देश पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने की इच्छा युद्ध का कारण बनती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद: विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों या विचारधाराओं के बीच टकराव और एक-दूसरे पर अपने विश्वासों को थोपने की कोशिश युद्ध को जन्म दे सकती है।

आर्थिक कारण: व्यापार मार्गों, बाजारों और आर्थिक प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा युद्ध का कारण बनती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा: किसी देश की सुरक्षा को खतरा महसूस होने पर, या आक्रमण के जवाब में भी युद्ध हो सकते हैं।

क्षेत्रीय विवाद: देशों के बीच सीमा विवाद और क्षेत्रीय दावों पर असहमति भी युद्ध की जड़ हो सकते हैं। 

युद्ध से आप क्या समझते हैं? इसके कारण और प्रभाव का परीक्षण कीजिए।

 

युद्ध को रोकने के लिए तनाव कम करना, गरीबी और असमानता को दूर करना, समावेशी समाज का निर्माण करना, और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्षों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। व्यक्तिगत स्तर पर, शांति की वकालत करने वाले समूहों से जुड़ना और शांतिपूर्ण समाधानों के लिए सार्वजनिक मांग करना इसमें शामिल है। 

रणनीतिक और राजनीतिक उपाय

तनाव और असुरक्षा को कम करें: लोगों को शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन जीने के अवसर प्रदान करें, और ऐसे समावेशी समाज बनाएं जहाँ सभी की आवाज़ सुनी जाए।

मध्यस्थता और कूटनीति को बढ़ावा दें: राज्यों को निरस्त्र करना या उनके हथियारों को न्यूनतम करना और मध्यस्थता के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय क्षमताएं विकसित करना आवश्यक है।

अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का समर्थन करें: युद्ध अपराधों के लिए नेताओं पर मुकदमा चलाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की स्थापना का समर्थन करें।

जवाबदेही सुनिश्चित करें: ऐसे नेताओं पर महाभियोग चलाएं जो अवैध युद्ध को बढ़ावा देते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों पर दबाव बनाएं कि सरकारें युद्ध के बजाय शांति के रास्ते खोजें।

संघर्षों के मूल कारणों पर ध्यान दें: सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करें जो अक्सर संघर्षों की जड़ में होती हैं। 

सामाजिक और व्यक्तिगत उपाय

शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएं: सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को शांति के लिए आंदोलनों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें और युद्ध के परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाएं।

शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाएं: युद्ध को रोकने के लिए अपनी आवाज उठाएं, जैसे कि विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना या शांति समूहों में शामिल होना।

जानकारी और शोध करें: युद्ध के कारणों को समझने के लिए समाचार पढ़ें और घटनाओं पर शोध करें, ताकि आप एक सूचित और प्रभावी आवाज उठा सकें।

शांतिपूर्ण मानसिकता विकसित करें: युद्ध को रोकने के लिए, अपने भीतर के संघर्ष को भी हल करना महत्वपूर्ण है। ध्यान और सचेतनता के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करें।

 

 चंद्र मोहन

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