प्रयागराज, 18 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के नौकरशाहों और अधिकारियों के लिए ‘‘माननीय’’ शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव (राजस्व) को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि किस कानून के तहत अपर आयुक्त (अपील) को ‘‘माननीय अपर आयुक्त’’ के तौर पर संदर्भित किया गया।
न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की पीठ ने योगेश शर्मा नाम के व्यक्ति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा, ‘‘यह संवैधानिक अधिकारियों और अदालतों की प्रतिष्ठा कम करने का एक सूक्ष्म लेकिन निश्चित तरीका है। हाल में यह रुख देखा गया जहां निचले स्तर से उच्चतम स्तर के राज्य के अधिकारियों को पत्राचार और आदेशों में माननीय के साथ संबोधित किया जा रहा है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत पहले ही बता चुकी है कि माननीय शब्द का इस्तेमाल मंत्रियों और संप्रभु अधिकारियों के मामले में ही किया जाएगा। यह राज्य सरकार के नौकरशाहों या अधिकारियों के मामले में लागू नहीं होता। इस मामले में इटावा के जिलाधिकारी द्वारा कानपुर के मंडलायुक्त को माननीय मंडलायुक्त के तौर पर संदर्भित किया गया है।’’
अदालत ने प्रमुख सचिव (राजस्व विभाग) को इस अदालत को यह अवगत कराने का निर्देश दिया कि क्या उन अधिकारियों के लिए कोई प्रोटोकॉल है जो अपने पदों या नाम के पहले माननीय शब्द लगाने के पात्र हैं।
अदालत ने इस मामले की नए सिरे से सुनवाई की अगली तिथि 19 दिसंबर, 2025 तय की।