ट्रंप ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर किए

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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 19 दिसंबर (भाषा) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक वार्षिक रक्षा नीति विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है।

विधेयक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त वातावरण को बढ़ावा देने और चीन से उत्पन्न चुनौती से निपटने के लिए ‘चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद’ (क्वाड) के माध्यम से सहयोग बढ़ाने का भी उल्लेख किया गया है।

बृहस्पतिवार को हस्ताक्षरित ‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट फॉर फिस्कल ईयर’ 2026 में युद्ध मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और अन्य कार्यकारी विभागों व एजेंसियों के लिए वित्तीय वर्ष की धनराशि आवंटित करने का निर्देश दिया गया है।

ट्रंप ने एक बयान में कहा, “यह अधिनियम ताकत के माध्यम से शांति कायम करने के मेरे एजेंडे को लागू करने, घरेलू और विदेशी खतरों से मातृभूमि की रक्षा करने, और रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत बनाने के लिए युद्ध मंत्रालय को सक्षम बनाएगा। इससे उन फिजूल और कठोर कार्यक्रमों के लिए धन मुहैया कराने पर लगाम लगेगी जिनसे हमारे देश के सैन्य कर्मियों की युद्ध लड़ने की भावना कमजोर होती है।”

इस अधिनियम में ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा गठबंधनों और साझेदारियों को लेकर संसद के दृष्टिकोण’ को रेखांकित किया गया है।

इसके तहत, रक्षा मंत्री को ऐसे प्रयास जारी रखने चाहिए, जिनसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के रक्षा गठबंधन और साझेदारियां मजबूत हों ताकि चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में अमेरिका को तुलनात्मक बढ़ मिल सके।

विधेयक में “क्वाड के माध्यम से मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा उद्देश्य को बढ़ावा देना, द्विपक्षीय व बहुपक्षीय संवादों, सैन्य अभ्यासों में भागीदारी, विस्तारित रक्षा व्यापार, मानवीय सहायता एवं आपदा प्रतिक्रिया को लेकर सहयोग; समुद्री सुरक्षा को लेकर अधिक सहयोग प्रदान करके भारत-अमेरिका साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है।”

क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह समूह 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए बनाया गया है।

अधिनियम में कहा गया है कि रक्षा मंत्री विदेश मंत्री के साथ समन्वय करके एक सुरक्षा तंत्र बनाएंगे ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके मित्र व साझेदार देशों के रक्षा औद्योगिक आधारों के बीच सहयोग को मजबूत किया जा सके।

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