विकिरण, परमाणु अपशिष्ट से पैदा होने वाले खतरे को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया: शांति विधेयक पर थरूर

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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने परमाणु ऊर्जा विधेयक में विभिन्न खामियों का उल्लेख करते हुए बुधवार को लोकसभा में दावा किया कि इसमें रेडियोधर्मी पदार्थों के विकिरण और परमाणु अपशिष्ट से उत्पन्न होने वाले ‘‘जोखिम को पूरी तरह से नजरअंदाज’’ किया गया है।

उन्होंने ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह विधेयक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत नहीं करता और इस संबंध में अनिश्चितता को गहराता है कि भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र किस ओर जा रहा है।

थरूर ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मैं आश्वस्त नहीं हूं कि यह ‘‘न्यूक्लियर बिल है या अनक्लियर बिल।’’

उन्होंने कहा कि विधेयक के मौजूदा स्वरूप में मूलभूत खामियां हैं और इस पर व्यापक रूप से काम करने की जरूरत है, न कि ‘कॉस्मेटिक’ संशोधन करना।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि इसे चर्चा के लिए सदन में रखे जाने से पहले संसद की स्थायी समिति या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक में रेडियोधर्मी पदार्थों के विकिरण और लंबे समय तक रहने वाले परमाणु अपशिष्ट से पैदा होने वाले जोखिम को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।’’

थरूर ने कहा कि विधेयक सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त किसी (निजी) कंपनी या व्यक्ति को परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन के लिए लाइसेंस का आवेदन करने का पात्र बनाता है, जो संपूर्ण परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को पूरी तरह से खोलने जैसा है।

उन्होंने कहा कि परमाणु ईंधन के खनन से लेकर अपशिष्ट निपटान तक, इसके विभिन्न चरण के लिए विधेयक एकल समग्र लाइसेंस का प्रावधान करता है और इस तरह एक ही कंपनी खनन पर नियंत्रण कर सकती है तथा ईंधन तैयार कर सकेगी, रिएक्टर का संचालन और अपशिष्ट निपटान करेगी।

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘इस तरह, नियंत्रण को एक ही कंपनी या कॉरपोरेट समूह में केंद्रित करना जोखिम को रोकने के बजाय अत्यधिक बढ़ा देगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लाभ अर्जित करना पूरी प्रक्रिया का मुख्य मकसद हो जाएगा, जबकि सुरक्षा से हर स्तर पर समझौता होगा।’’

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, नागरिक समाज या राज्य सरकार ऑपरेटर के खिलाफ मामला दायर नहीं कर सकेंगे।

उन्होंने शायराना अंदाज में कहा, ‘‘इस विधेयक के हर वादे के पीछे एक कीमत छिपी है मिस्टर मिनिस्टर और अक्सर यह कीमत वही चुकाता है, जिसका फैसले में कोई हिस्सा नहीं होता और उन वादों की कीमत तुम क्या जानो सरकार…।’’

राकांपा (एसपी) की सुप्रिया सुले ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सत्तापक्ष की ओर से कहा गया कि वे एकाधिकार नहीं चाहते और मुझे यह विचार अच्छा लगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि किस एकाधिकार के बारे में बात हो रही है? क्या यह न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) के बारे में है, जो हमारा पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम) है और हमेशा लाभ अर्जित किया है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इंडिगो को एकाधिकार स्थापित करने दिया, जिससे विमानन क्षेत्र में पूरे देश में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हुई।

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘लेकिन एनपीसीआईएल जैसे पीएसयू के लिए इस सरकार में कोई सहानुभूति नहीं है। सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए, जब आपके मुख्य वक्ता ने कहा है कि हम एकाधिकार नहीं चाहते।’’

सुले ने कहा, ‘‘हम कहीं से भी निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, हम एक आधुनिक पार्टी हैं…(शरद) पवार ने हमेशा ही उदारीकरण के बारे में बात की है।’’

उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा, ‘‘कृपया उस पीएसयू को ना रोकें जिसने इस राष्ट्र का निर्माण किया है।’’

राकांपा (एसपी) सांसद ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) सरकार के पास बना रहेगा, लेकिन ‘‘जब सत्तापक्ष कहता है कि ‘बना रहेगा’ तो यह चिंतित करने वाला है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को ‘‘11 साल से सरकार आगे नहीं बढ़ा सकी है।’’

सुले ने सवाल किया कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के ‘डीकमीशनिंग’ के लिए इस विधेयक में क्या प्रावधान किया गया है? उन्होंने कहा, ‘‘इसकी गारंटी क्या है कि निजी कंपनी भी जिम्मेदारीपूर्वक अपना दायित्व निभाएगी।’’

उन्होंने विधेयक में, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सवाल पूछे जाने का प्रावधान नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि ‘‘यदि राष्ट्रीय सुरक्षा की बात है तो हमें जवाब नहीं दीजिए, लेकिन निजी क्षेत्र शामिल है तो राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल कहां से आता है? आप कहते हैं कि यह एक पारदर्शी सरकार है तो सरकार को छिपाने की जरूरत क्या है?’’

उन्होंने विधेयक को जेपीसी के पास भेजने की मांग की ताकि इसपर व्यापक विचार-विमर्श किया जा सके।

तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने कहा कि भारत में विश्व का 25 प्रतिशत थोरियम भंडार है और ‘‘हम 50 साल तक इसके दोहन पर आगे नहीं बढ़ सकें।’’

उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापक निवेश को बढ़ावा देता है और सरकारी नियंत्रण को मजबूत करता है।

शिवसेना (उबाठा) के अरविंद सावंत ने सवाल किया कि सरकार कैसे सुनिश्चित करेगी कि निजी कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र के समान ही सुरक्षा प्रदान करेगी?

उन्होंने विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए जेपीसी के पास भेजने और उसके बाद आम सहमति से विधेयक लाने का आग्रह किया।

वहीं, जद(यू) के आलोक कुमार सुमन ने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन के लिए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया उच्च कोटि की होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि रेडियोधर्मी अपशिष्ट के निपटारे के लिए विशेष प्रावधान करने की जरूरत है।

शिवसेना के धैर्यशील संभाजीराव माने ने कहा कि रेडियोधर्मी पदार्थों की सुरक्षा के लिए सरकार ने विशेष शक्तियां अपने पास रखी है, ‘‘यानी नवाचार निजी क्षेत्र कर सकता है, लेकिन नियंत्रण सरकार के पास रहेगा।’’

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