लखनऊ, 18 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर किसी देश से उसकी संस्कृति को अलग कर दिया जाए, तो वह देश बेजान हो जाता है और अपनी पहचान खो देता है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति ने खुद को ‘सनातन’ संस्कृति के रूप में स्थापित किया है।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति में बसती है। जैसे किसी मनुष्य की आत्मा उसके शरीर से संबंध तोड़ देती है तो शरीर निस्तेज हो जाता है, उसी प्रकार किसी भी राष्ट्र की संस्कृति को अगर उससे अलग कर दिया जाए तो राष्ट्र निस्तेज हो जाता है। वह खंडहर में परिवर्तित हो जाता है और अपनी पहचान को खो देता है।’’
एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के आरंभिक कार्यक्रम में कहा कि यह अवसर हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उनके अनुसार, ‘‘भारत की कला, स्वर व लय ने अपनी पहचान को विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जो निरंतरता दी उसी के बदौलत हमारी सनातन संस्कृति विश्व में खुद को स्थापित करने और आगे बढ़ाने में सफल हुई है। कलाकार की कला एक ईश्वरीय गुण है जिसकी हमें अवमानना नहीं करनी चाहिए। कलाकार किसी भी विधा से जुड़ा हो, उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी भारत की सांस्कृतिक चेतना, स्वर, लय और संस्कार को इस संस्थान ने एक नयी पहचान दी है। उन्होंने कहा कि भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय ने पिछले 100 वर्षों में भारतीय संगीत, नृत्य, नाट्य और ललित कलाओं को न केवल संरक्षित किया है, बल्कि उन्हें आधुनिक शैक्षणिक व्यवस्था से जोड़कर प्रतिष्ठित भी किया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि एक संस्कृति कर्मी भी राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिशा में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय से जुड़े सभी महानुभावों के योगदान के लिए उन्होंने कृतज्ञता व्यक्त की। मुख्यमंत्री योगी ने इस अवसर पर पंडित विष्णु नारायण भातखंडे को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सृष्टि का पहला स्वर ओंकार है। उन्होंने नाद योग का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान, अध्यात्म और संस्कृति तीनों ही इसकी पुष्टि करते हैं। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण भी यही है कि नाद के अधीन पूरा जगत है। उन्होंने कहा कि संगीत की विभिन्न विधाओं के माध्यम से इसी नाद की पहचान करना साधना का विषय है।
विश्वविद्यालय से जुड़े पूर्व कलाकारों को सम्मानित किए जाने पर उन्होंने कहा कि ये कलाकार न केवल भातखंडे की परंपरा, बल्कि उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक मूल्यों को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित कर रहे हैं।
‘कॉफी टेबल बुक’ के विमोचन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आने वाले समय में यह पुस्तक प्रेरणा का कार्य करेगी। देश की आजादी के शताब्दी महोत्सव के साथ जब विश्वविद्यालय जुड़ रहा होगा, तब यह ‘कॉफी टेबल बुक’ अत्यंत प्रासंगिक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री योगी ने पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि वर्ष 1926 में देश औपनिवेशिक शासन के अधीन था। उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित थी और संगीत तथा कला के लिए मंच उपलब्ध नहीं थे।
उन्होंने कहा, ‘‘उस दौर में पंडित भातखंडे ने भारतीय संगीत को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। शास्त्रीय अनुशासन, सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम, राग-ताल का वर्गीकरण, क्रमिक पद्धति और गुरु-शिष्य परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना उनका ऐतिहासिक योगदान था। यह कार्य केवल शैक्षणिक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को आत्मसम्मान, आत्मगौरव और स्थायित्व देने का प्रयास था।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में देश में अपनी विरासत को पुनः खोजने का कार्य आरंभ हुआ है। इससे भारत को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नयी पहचान मिल रही है।’’
उन्होंने वर्ष 2019 के कुंभ और वर्ष 2025 में आयोजित महाकुंभ के आयोजन का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ लोगों का मानना था कि आज का युवा अपनी संस्कृति से विमुख हो रहा है। औपनिवेशिक काल में इस प्रकार की धारणा को जानबूझकर बढ़ाया गया। लेकिन महाकुंभ 2025 में 66.30 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस मिथक को तोड़ दिया। इनमें सर्वाधिक संख्या युवाओं की थी। न केवल भारत, बल्कि विश्व के हर कोने से लोग इस आयोजन से जुड़े।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सही मंच मिलने पर संस्कृति स्वतः आगे बढ़ती है।
मुख्यमंत्री ने पद्म विभूषण और पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. सोनल मानसिंह के संबोधन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कला और अध्यात्म के गहरे संबंध को अत्यंत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि नृत्य में भगवान शिव नटराज के रूप में, वीणा के स्वर में माता सरस्वती, नाटक के संवाद में प्रभु श्रीराम की मर्यादा और रस में डूबते समय श्रीकृष्ण की रसधारा का अनुभव होता है। यह सब कुछ उत्तर प्रदेश की धरती पर उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री योगी के अनुसार, सरकार कलाकारों को सुरक्षित, सम्मानित और सशक्त वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है। एक सुव्यवस्थित नीति के अंतर्गत इन कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय इसमें सरकार का महत्वपूर्ण साझेदार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय में गायन, वादन और नृत्य की तीनों विधाओं में प्रमाणपत्र से लेकर शोध तक की समन्वित शिक्षा दी जा रही है। नाट्यकला और चित्रकला में भी डिप्लोमा और स्नातक पाठ्यक्रम संचालित हैं।
उन्होंने आजमगढ़ के हरिहरपुर में स्थापित संगीत महाविद्यालय का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में छात्रों को मंच प्रदान करने और सांस्कृतिक चेतना के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को लखनऊ में लगभग छह एकड़ भूमि प्रदान की गई है, जहां वैश्विक मानकों के अनुरूप नया परिसर विकसित किया जाएगा। इसमें आधुनिक सभागार, ओपन थिएटर, समृद्ध लाइब्रेरी और अन्य सुविधाएं होंगी। पुराने परिसर को संगीत और कला के संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाएगा।
