नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय जेल में बंद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की उस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उनके पति को हिरासत में लिए जाने को ‘‘अवैध और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाली एक मनमानी कार्रवाई’’ बताया गया है।
इस मामले की सुनवाई संभवत: न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ करेगी।
पीठ ने 24 नवंबर को मामले की सुनवाई उस वक्त टाल दी थी जब केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वांगचुक की पत्नी के जवाब पर अपना पक्ष रखने (रिज्वाइंडर) के लिए मोहलत मांगी।
शीर्ष अदालत ने 29 अक्टूबर को वांगचुक की पत्नी की संशोधित अर्जी पर केंद्र और लद्दाख प्रशासन से जवाब मांगा था।
संशोधित अर्जी के मुताबिक, ‘‘हिरासत का आदेश पुरानी प्राथमिकी, अस्पष्ट आरोपों और अनुमानों पर आधारित है, इसका हिरासत के कथित आधारों से कोई सीधा या करीबी संबंध नहीं है और इसलिए इसका कोई कानूनी या तथ्यात्मक औचित्य नहीं है…।’’
अर्जी में कहा गया है, ‘‘निरोधक शक्तियों का इस तरह मनमाना इस्तेमाल अधिकार का घोर दुरुपयोग है, जो संवैधानिक स्वतंत्रता और सही प्रक्रिया की बुनियाद को चोट पहुंचाता है और इस प्रकार हिरासत का आदेश इस अदालत द्वारा रद्द किये जाने के योग्य है।’’
उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए वांगचुक के कामों या बयानों को किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
वांगचुक को 26 सितंबर को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था।
ऐसा तब हुआ, जब लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 90 घायल हो गए। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।