खेल मंत्री तीन दिसंबर को भारतीय फुटबॉल के सभी हितधारकों से मिलेंगे

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया तीन दिसंबर को भारतीय फुटबॉल के राष्ट्रीय महासंघ, इसके पूर्व वाणिज्यिक साझेदार और क्लब सहित सभी हितधारकों से मुलाकात कर मौजूदा संकट से निपटने का रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।

भारतीय फुटबॉल में यह संकट तब पैदा हुआ जब अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) शीर्ष स्तरीय इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) सहित घरेलू लीग के संचालन के लिए कोई नया वाणिज्यिक साझेदार ढूंढने में विफल रहा। 

मंत्रालय के एक सूत्र ने सोमवार को ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि मंत्रालय समाधान निकालने के लिए आगे आए और यह उसी निर्देश के अनुपालन में यह किया जा रहा है। भारतीय फुटबॉल के प्रतिनिधि इस एक दिवसीय बैठक में अपनी चिंताएं व्यक्त कर सकते हैं और मंत्री उसके अनुसार अपने सुझाव देंगे।’’

भारतीय घरेलू फुटबॉल उस समय अराजकता में फंस गया जब आईएसएल के स्वामित्व और आयोजन करने वाली संस्था फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) ने जुलाई में एआईएफएफ को सूचित किया कि वह आठ दिसंबर को समाप्त होने वाले 15 साल के मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) के नवीनीकरण पर स्पष्टता की कमी के कारण देश की शीर्ष स्तरीय लीग को रोक रहा है।

  उसके बाद यह खेल कई मुद्दों से जूझ रहा है। इस दौरान हालांकि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार नए एआईएफएफ संविधान के मसौदे को न्यायालय से मंजूरी मिलना एक सकारात्मक पहलू था।

इस बीच यह भी पता चला है कि न्यायालय ने राव द्वारा शीर्ष अदालत को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में उठाए गए कुछ ‘अहम बिंदुओं’ का संज्ञान लिया है। न्यायालय चाहता है कि सरकार फीफा के नियमों के अनुसार वैश्विक प्रथाओं का पालन सुनिश्चित करके गतिरोध का समाधान खोजने में हितधारकों की मदद करे।

मंत्रालय ने एआईएफएफ को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘इस मामले में प्रभावी विचार-विमर्श के लिए सभी संबंधित हितधारकों (आईएसएल क्लब, संभावित वाणिज्यिक साझेदार, एफएसडीएल, प्रसारक और ओटीटी मंच, आई-लीग और निचली डिवीजन क्लब आदि) की उपस्थिति महत्वपूर्ण होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एआईएफएफ से अनुरोध है कि वह संबंधित हितधारकों को निर्धारित बैठक के बारे में सूचित करे और कार्यक्रम के अनुसार उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करे।’’

मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह भी अनुरोध है कि वित्तीय सलाहकार ( केपीएमजी इंडिया सर्विसेज एलएलपी) के प्रतिनिधियों को भी इस दौरान आवश्यक स्पष्टीकरण प्रदान करने के लिए सभी बैठकों में उपस्थित रहने के लिए कहा जाए।’’

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में बुधवार को छह बैठकें निर्धारित की गई हैं, जिनमें आईएसएल क्लबों, आई-लीग क्लबों और एफएसडीएल के साथ अलग-अलग चर्चाएं शामिल हैं।

मंत्री ने कुछ सप्ताह पहले आई-लीग के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी और सभी हितधारकों से मौजूदा संकट का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने का अनुरोध किया था। इस बैठक के दौरान मंत्री ने उनकी शिकायतें सुनीं और आगे का रास्ता निकालने के लिए सभी हितधारकों के बीच ‘रचनात्मक संवाद’ का आग्रह किया।

इस बैठक में आई-लीग क्लबों ने एक साझा लीग साझेदार की मांग की थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शीर्ष स्तरीय आईएसएल और आई-लीग के दोनों डिवीजनों का प्रबंधन एक ही संस्था द्वारा किया जाए।

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