आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत घटाया, आर्थिक वृद्धि दर अनुमान बढ़ाया

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मुंबई, पांच दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को वृहद आर्थिक स्थिति और वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया। मजबूत आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति में नरमी के बीच आरबीआई ने नीतिगत दर में यह कटौती की है।

इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा महंगाई दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है।

इस तरह वर्ष 2025 में रेपो दर में अब तक कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने इस साल फरवरी से जून तक रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती की थी। वहीं अगस्त और अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया था।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीस) की तीन-दिवसीय बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।”

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाये रखा गया है।

इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर लचीला बना रहेगा।

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। रेपो दर में कटौती होने से आवास, वाहन समेत अन्य खुदरा कर्ज पर ब्याज में बदलाव की संभावना है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।

वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.0 प्रतिशत कर दिया गया जबकि पहले इसके 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

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