राम सुतार: एक शिल्पकार जिन्होंने आधुनिक भारत की शिल्प कला को आकार दिया

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मुंबई, 18 दिसंबर (भाषा) ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ समेत कई विशाल कृतियों के शिल्पकार राम वी. सुतार ने देश के सार्वजनिक कला परिदृश्य को परिभाषित किया और भारतीय शिल्पकला को वैश्विक मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुतार का बुधवार रात को 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह आधुनिक भारतीय शिल्पकला की एक महान हस्ती थे।

उन्होंने सात दशकों से अधिक के अपने करियर में कलात्मक यथार्थवाद को ऐतिहासिक गहराई के साथ मिलाकर देश की कुछ सबसे प्रतिष्ठित मूर्तियों और स्मारकों का निर्माण किया।

उन्हें ‘‘स्टैच्यू मैन’’ के नाम से भी जाना जाता था तथा कांसे एवं पत्थर पर उनकी अद्वितीय महारत के लिए उन्हें भारत और विदेश में अपार सम्मान मिला।

महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदुर गांव में 19 फरवरी, 1925 को जन्मे सुतार एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर भारत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक बने।

उन्होंने मुंबई के अपने शिक्षण संस्थान सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट से स्वर्ण पदक विजेता के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जहां आलंकारिक शिल्पकला में उनकी प्रतिभा ने ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया था।

सुतार नोएडा में रहते थे और उनका स्टूडियो भी वहीं था।

गुजरात के केवडिया में स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के मुख्य शिल्पकार के रूप में उन्होंने वैश्विक ख्याति प्राप्त की। इस परियोजना के माध्यम से विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण हुआ और इसने उन्हें विशाल शिल्पकला में महारत रखने वाले कलाकार के रूप में स्थापित किया।

उनकी विशाल कलाकृतियों में संसद परिसर में ध्यान मुद्रा में बैठे महात्मा गांधी की प्रतिमा, डॉ. बी. आर. आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और भारत एवं विदेश के कई राष्ट्रीय नेताओं तथा ऐतिहासिक हस्तियों की प्रतिमाएं शामिल हैं।

उनकी प्रतिमाएं सजीव भावों और बारीक कारीगरी के लिए जानी जाती हैं।

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