मोती एक ऐसा रत्न है जो न सिर्फ सुंदरता, एकता और शांति का प्रतीक माना जाता है, बल्कि मोतियों के आभूषण भी महिलाओं में खासा लोकप्रिय हैं। प्राकृतिक मोती को पॉलिश, कटिंग या किसी आकार में परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं होती है। बीसवीं शताब्दी में मोती का प्रयोग अधिक हुआ, क्योंकि इसे राजघराने में रखा जाना समृद्धि की पहचान बना। बने भी क्यों न। पंद्रह हजार सीपों में से केवल एक ही सीप ऐसा होता है जिसके अंदर मोती मिलता है। इसलिए इसका उत्पादन करना जरूरी था, जो अब संभव हो चुका है। 1908 के बाद से वे महिलाएं, जिनके पास दौलत थी, मोती के गहने पहनने लगी थीं। समृद्धि की पहचान: ऐसा माना जाता है कि पांडू के राजा के पास उस जमाने का एक लाख रूपए मूल्य का एक मोती था। उसके बाद राजा अशोक के पास आठ तरह के मोतियों की माला थी जो उनकी खूबसूरती और समृद्धि को बढ़ाती थी। उस समय के राजा-महाराजा किसी से खुश होने पर उसे अपने गले से मोतियों की माला उतार कर दे देते थे। मोती को एकता का प्रतीक माना गया है। यह एक ऐसा रत्न है, जो सुंदरता, एकता, शांति का प्रतीक है। विश्व के सभी धर्मों के लोग इसे पहनते हैं। प्राचीन ग्रंथों में इसे आग और पानी का समन्वित रूप माना गया है। कीमती रत्न: मोती एक कीमती रत्न है। किसी भी उम्र की महिलाएं मोतियों के गहने पहन कर अपने रंग-रूप को निखार सकती हैं। इसे ‘इंस्टैंट फेस लिफ्ट‘ की संज्ञा भी दी जाती है। मोती के हार, बालियां व कंगन ग्लैमरस लुक देते हैं। इन्हें किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है।