न्यायमूर्ति स्वामीनाथन को पद से हटाने संबंधी नोटिस न्यायपालिका पर हमला: भाजपा सांसद

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नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि द्रमुक समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा तमिलनाडु में ‘कार्तिगई दीपम’ से जु़ड़े मामले में आदेश पारित करने वाले मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन को पद से हटाने का प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस देना ‘‘न्यायपालिका को खामोश करने की कोशिश’’ है।

कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और कई अन्य विपक्षी दलों ने तमिलनाडु में एक दरगाह के निकट स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ से जु़ड़े मामले में आदेश पारित करने वाले न्यायमूर्ति स्वामीनाथन को पद से हटाने का प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपा था।

शून्यकाल के दौरान, सूर्या ने इस नोटिस को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन और कांग्रेस समर्थित (तमिलनाडु की) द्रमुक सरकार इसका इस्तेमाल करके न्यायपालिका को खामोश करने की कोशिश कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि यह न केवल उनकी ‘‘हिंदू विरोधी भावना’’ को दर्शाता है, बल्कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रा की अवमानना को भी प्रदर्शित करता है।

भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘यह देश की न्यायपालिका पर हमला है। यह न्यायाधीशों की निष्पक्षता पर हमला है।’’

उन्होंने द्रमुक पर न्यायाधीशों को पद से हटाने संबंधी संवैधानिक प्रावधान का असंवैधानिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए इसकी निंदा की।

सूर्या ने कहा कि पहले भी, आपातकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी ने न्यायपालिका की निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन किया था।

उन्होंने कहा कि एक तार्किक आदेश पारित करने वाले न्यायाधीश को पद से हटाने के प्रस्ताव संबंधी नोटिस देना न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक और हमला है।

नोटिस पर 120 से अधिक विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।

द्रमुक का आरोप है कि न्यायाधीश के फैसले के बाद भाजपा द्वारा सांप्रदायिक टकराव की स्थित पैदा की गई है।

तमिलनाडु सरकार ने दरगाह के पास स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ प्रज्वलित करने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।

उच्चतम न्यायालय ने तिरुपरमकुंद्रम में स्थित पत्थर के एक दीप स्तंभ ‘दीपथून’ में दरगाह के निकट अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के श्रद्धालुओं को परंपरागत ‘‘कार्तिगई दीपम’ का दीपक प्रज्वलित करने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए पांच दिसंबर को सहमति जताई थी।

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने चार दिसंबर को मदुरै के जिला कलेक्टर और शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा दायर एक अंतर-न्यायालयी अपील खारिज कर दी और एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें श्रद्धालुओं को दीपथून में ‘कार्तिगई दीपम’ दीप प्रज्वलित करने की अनुमति दी गई थी।

जब आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ तो एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर को एक और आदेश पारित कर श्रद्धालुओं को स्वयं दीप प्रज्वलित करने की अनुमति दे दी तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

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