बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट; सोयाबीन तेल-तिलहन, पाम-पामोलीन में सुधार
Focus News 7 December 2025 0
नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में जाड़े तथा शादी विवाह के मौसम की मांग के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए।
दूसरी ओर ऊंचे दाम के कारण मांग प्रभावित रहने की वजह से सरसों तेल-तिलहन तथा लिवाली कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बड़ी मिलों के पास सरसों का पर्याप्त स्टॉक है और वे विभिन्न रास्तों से सरसों के दाम में तेजी लाने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन सरसों के दाम ऊंचा होने की वजह से इसकी लिवाली प्रभावित है जिसके कारण बीते सप्ताह अपने पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि कई तेल समीक्षकों को सरसों के भाव की तेजी को लेकर चिंता जताते पाया जा सकता है लेकिन उन्हें सोयाबीन डीगम तेल के लागत से कम दाम पर बिकवाली की चिंता व्यक्त करते नहीं पाया जाता है जिसकी वजह से तेल-तिलहन उद्योग की पूरी कारोबारी धारणा प्रभावित हो रही है।
सूत्रों ने कहा कि इन समीक्षकों को सोयाबीन का आयात घटने की तो चिंता हो रही है लेकिन आयात क्यों घटा है, इस बात की जानकारी सामने नहीं आती। उन्होंने कहा कि कुछ आयातकों के द्वारा बैंकों का कर्ज लौटाने की जल्दबाजी और बैंकों में अपना ऋण साखपत्र (एलसी) प्रचलन में रखने के लिए काफी लबे समय से लागत से 6-7 प्रतिशत नीचे दाम पर सोयाबीन डीगम तेल की बिक्री की जा रही है। लंबे समय से जारी घाटे के इस कारोबार की स्थिति को देखते हुए बाकी आयातकों ने आयात की मात्रा को घटाना शुरु कर दिया है।
सोयाबीन का हाजिर दाम एमएसपी से लगभग 15-16 प्रतिशत नीचे चल रहा है। आयात कम होने के साथ सस्ता होने और शादी विवाह के मौसम की मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल-तिलहन में बीते सप्ताह सुधार आया है।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में सट्टेबाजी के कारण बीते सप्ताह पाम-पामोलीन के दाम में भी सुधार दिखा। सट्टेबाज पाम-पामोलीन का दाम कभी घटाते हैं कभी बढ़ाते हैं। इन अनिश्चितता को देखते हुए देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता का महत्व समझ में आता है। यह भी सच्चाई है कि भाव ऊंचा जरूर बोले जा रहे हैं पर मांग कमजोर बनी हुई है।
सूत्रों ने कहा कि नमकीन बनाने वाली कंपनियों की औद्योगिक मांग बढ़ने से बीते सप्ताह बिनौला तेल के दाम में भी मामूली सुधार आया।
बीते सप्ताह सरसों दाना 10 रुपये की गिरावट के साथ 7,100-7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 75 रुपये की गिरावट के साथ 14,650 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,460-2,560 रुपये और 2,460-2,595 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 50-50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,600-4,650 रुपये और 4,300-4,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
इसी तरह, सोयाबीन दिल्ली तेल 75 रुपये के सुधार के साथ 13,525 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन इंदौर तेल 50 रुपये के सुधार के साथ 13,150 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 100 रुपये के सुधार के साथ 10,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तिलहन 275 रुपये की गिरावट के साथ 6,175-6,550 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 750 रुपये की गिरावट के साथ 14,500 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 100 रुपये की गिरावट के साथ 2,370-2,670 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 100 रुपये के सुधार के साथ 11,375 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 25 रुपये के मामूली सुधार 13,150 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 50 रुपये के सुधार 12,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 25 रुपये के मामूली सुधार के साथ 12,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
