तिरुवनंतपुरम, 19 दिसंबर (भाषा) केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में राज्य की निर्धारित उधारी सीमा में 5,900 करोड़ रुपये की कटौती के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘राजनीति से प्रेरित और पूरी तरह अन्यायपूर्ण’ बताया।
बालगोपाल ने कहा कि इस ‘केरल-विरोधी निर्णय’ की जानकारी बुधवार रात केंद्र से प्राप्त एक पत्र के जरिए दी गई।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “केंद्र का यह कदम केरल के विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर सीधा हमला है।”
वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछले साढ़े चार वर्षों से केरल पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है और अब विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले उधारी सीमा में इतनी बड़ी कटौती कर दी गई है।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से सरकार के अंतिम महीनों में कल्याणकारी पहलों को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया है।”
बालगोपाल ने इसे केरल के लोगों के खिलाफ केंद्र सरकार की तरफ से ‘जंग का ऐलान’ करार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र अन्य तरीकों से भी केरल को उसके वैध कर हिस्सेदारी से वंचित करता रहा है।
केरल के वित्त मंत्री ने मनरेगा योजना में बदलाव पर कहा कि केंद्र ने रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन से पीछे हटना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, “योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जा रहा है और इसके वित्तीय बोझ का बड़ा हिस्सा राज्य पर डाला जा रहा है। केरल को अब इस कार्यक्रम को चलाने के लिए अपने संसाधनों से सालाना 2,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने होंगे।”
वित्त मंत्री ने केंद्र के इस कदम को ‘संघीय मर्यादाओं का उल्लंघन’ बताते हुए कहा कि केरल के लोगों को एकजुट होकर इस फैसले का कड़ा विरोध करना चाहिए।