नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि अप्रैल से नवंबर के बीच उर्वरक कंपनियों के 5,371 लाइसेंस कालाबाजारी, जमाखोरी और निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरक वितरण के आरोप में रद्द किए गए हैं।
यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने राज्यसभा में दी।
भाजपा सदस्य किरण चौधरी के सवाल के जवाब में नड्डा ने कहा कि राज्यों को कदाचार पर कार्रवाई करने का अधिकार है और केंद्र कालाबाजारी, जमाखोरी और अधिक मूल्य निर्धारण जैसी कदाचार गतिविधियों को रोकने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत कार्रवाई करता है।
उन्होंने बताया कि निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरक पर कार्रवाई भी उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत की जाती है।
नड्डा ने कहा, “कालाबाजारी के लिए एक अप्रैल से 28 नवंबर तक 5,058 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 442 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई और 3,732 लाइसेंस रद्द किए गए।”
उन्होंने बताया कि जमाखोरी के आरोप में 687 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 202 लाइसेंस रद्द किए गए और 446 प्राथमिकी दर्ज की गईं। वहीं, निम्न गुणवत्ता वाले उर्वरक के मामले में 3,811 कंपनियों को नोटिस भेजे गए, 1,437 लाइसेंस रद्द किए गए और 65 प्राथमिकी दर्ज की गईं।
मंत्री ने बताया कि विपथन (डाइवर्ज़न) के मामलों में 3,058 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 464 लाइसेंस रद्द किए गए और 96 प्राथमिकी दर्ज की गईं। उनके अनुसार, पिछले सात महीनों में कुल 12,814 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 5,835 लाइसेंस रद्द किए गए और 649 प्राथमिकी दर्ज की गईं, जिनमें से 442 प्राथमिकी काला बाजारी के मामले में थीं।
नड्डा ने बताया कि केंद्र ने सभी राज्यों को समय पर उर्वरक की आपूर्ति की है और इसकी ‘एकीकृत उर्वरक निगरानी प्रणाली’ के माध्यम से वास्तविक समय में निगरानी की जा रही है।
उन्होंने कहा, “किसान के पास 10 बैग उर्वरक का उपयोग करने की क्षमता हो सकती है, लेकिन वह 50 बैग ले जाता है। इससे निपटने में राज्य सरकार को केंद्र का सहयोग करना चाहिए।”
दूसरे पूरक प्रश्न में भाजपा सदस्य चौधरी ने कहा कि किसान मजबूरी में उर्वरक के अलावा अन्य उत्पाद भी खरीदने को मजबूर होते हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है। उन्होंने इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सख्त प्रोटोकॉल बनाने की आवश्यकता बताई।
नड्डा ने कहा कि मंत्रालय इस मुद्दे पर डीलरों और कंपनियों के साथ चर्चा करेगा ताकि किसानों को इस तरह के चलन या किसी अन्य रूप में कोई समस्या न हो।