विन्टर मौसम में अपनाएं कुछ टिप्स

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पीठ और पेट की सुन्दरता हेतु सप्ताह में तीन बार जैतून के तेल की मालिश करें और सप्ताह में एक बार मलाई का लेप करें।
 त्वचा में नमी बरकरार रखने के लिए गुनगुने पानी में गुलाब जल व सरसों के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करें।
 अधिक खुरदरे हाथ पांव होने पर गुनगुने सरसों के तेल में नमक मिला कर मालिश करने से खुरदरापन खत्म होता है।
 होंठों की खुश्की दूर करने के लिए होंठों पर जैतून का तेल लगाने से आराम मिलता है।
 खुश्क त्वचा को दूर करने के लिए मलाई और दूध में बेसन का घोल बनाकर लेप करें। कुछ देर बाद गुनगुने पानी से धो लें।
 पैरों की बिवाइयों को भरने के लिए देशी घी में नमक मिलाकर बिवाइयों पर मलें। घाव धीरे-धीरे भरने लगेंगे।
 गाजर का जूस नियमित पीने से त्वचा की शुष्कता दूर होती है क्योंकि गाजर में विटामिन ‘ए’ होता है।
 अगर गाल फट जाएं तो ऐसे में उबले आलू का पानी गालों पर लगाएं। या आलू मैश कर दूध में उबालकर उसका पेस्ट गालों पर लगाने से फटे गाल ठीक हो जाते हैं।
 शीत ऋतु का प्रभाव गर्दन पर भी पड़ता है। इससे बचाव हेतु गर्दन पर कोल्ड क्रीम लगाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें।
 सर्दियों में बालों की जड़ों में प्याज का रस लगाने से बाल मजबूत होते हैं और मुलायम भी होते हैं।
 सर्दियों में बालों में डैंड्रफ की शिकायत बढ़ जाती है। ऐसे में बालों में नींबू का रस या छाछ अच्छी तरह लगाएं फिर हल्के शैम्पू से बाल धो लें। ऐसा सप्ताह में तीन बार करें।
 रात्रि में चेहरे पर देशी घी मलने से चेहरा चिकना होता है।
 होंठों पर गुलाब की पत्तियां पीस कर मलाई में मिला कर मलने से होंठ खिले-खिले लगेंगे।
सर्दी के मौसम में नियमित टमाटर का रस पीने से चर्म रोग नहीं होते और शरीर की खुश्की भी दूर होती है।
 कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे त्वचा पर मलने से सर्दियों में फटने वाली त्वचा से बचाव होता है। 

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