विख्यात मूर्तिकार राम सुतार का देहांत; मुख्यमंत्री फडणवीस ने श्रद्धांजलि अर्पित की

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मुंबई, 18 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने भारतीय मूर्तिकला को वैश्विक पहचान दिलाने वाले ख्यातिनाम वयोवृद्ध मूर्तिकार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. राम सुतार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

सुतार का बुधवार देर रात नोएडा स्थित उनके आवास पर 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

फडणवीस ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुतार के निधन से मूर्तिकला के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया है। उन्होंने कहा कि उनकी मूर्तियां अपने अनुपात और सजीव अभिव्यक्ति के आधार पर विशिष्ट थीं।

मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि उन्होंने हाल ही में सुतार को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार प्रदान करने के लिए नयी दिल्ली स्थित उनके आवास का दौरा किया था और जब सुतार ने सम्मान स्वीकार करते हुए “महाराष्ट्र माझा” गीत की पंक्तियां सुनाईं तो वे अत्यंत भावुक हो गए थे।

सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के सेल्युलर जेल में वी. डी. सावरकर की प्रतिमा जैसे स्मारकीय कार्यों के लिए प्रसिद्ध रहे कलाकार 100 वर्ष की आयु में भी अपने शिल्प से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। फडणवीस ने बताया कि वह मुंबई के इंदु मिल में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक से संबंधित कार्यों में भी शामिल थे।

फडणवीस ने कहा कि सुतार की कला पीढ़ियों तक अमर रहेगी और उनकी मूर्तियों को देखने मात्र से उनकी स्मृति जागृत होगी। उन्होंने मूर्तिकार के पुत्र अनिल सुतार से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की और कहा कि राज्य सरकार शोक संतप्त परिवार के साथ है।

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उनके निधन को भारतीय मूर्तिकला के एक गौरवशाली युग का अंत बताया।

सुतार को “मूर्तिकला की दुनिया का कोहिनूर” बताते हुए शिंदे ने कहा कि इस दिग्गज कलाकार ने अपनी विशाल कृतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और महान नेताओं के विचारों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया।

शिंदे के समकालीन अजीत पवार ने सुतार के निधन को भारतीय मूर्तिकला के स्वर्ण युग का अंत बताया।

अपने शोक संदेश में पवार ने कहा कि राम सुतार “मूर्तिकला के भीष्मचार्य” थे, जिनका इस क्षेत्र में योगदान अतुलनीय रहेगा।

पवार ने कहा, “देश ने एक बेहद प्रतिभाशाली मूर्तिकार को खो दिया है, जिन्होंने भारतीय स्मारक कला को वैश्विक पहचान दिलाई।”

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