नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था के बढ़ते डिजिटलीकरण और नए वित्तीय उत्पादों के उभरने के साथ, वैश्विक स्तर पर देशों को सूचनाओं के समय पर आदान-प्रदान में सहयोग करना होगा। इसके अलावा कर प्रणाली में निष्पक्षता एवं जनता का विश्वास सुनिश्चित करना जरूरी है।
सीतारमण ने यहां ‘18वीं ग्लोबल फोरम प्लेनरी मीटिंग’ में कहा कि सही निर्णय के साथ-साथ कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए कि क्षेत्राधिकारों के बीच कर सूचनाओं के आदान-प्रदान से मापनीय परिणाम हासिल हों।
कर उद्देश्यों के लिए पारदर्शिता एवं सूचना के आदान-प्रदान पर वैश्विक मंच एक बहुपक्षीय ढांचा है जिसमें 170 क्षेत्राधिकार शामिल हैं। यह पारदर्शिता तथा सूचना के आदान-प्रदान पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के कार्यान्वयन की निगरानी व समीक्षा करता है।
गोपनीयता व साइबर सुरक्षा को बेहद सावधानी से बनाए रखने की वकालत करते हुए मंत्री ने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण, नए वित्तीय उत्पादों के उद्भव व लाभकारी स्वामित्व की उभरती संरचनाओं से उत्पन्न नई चुनौतियों पर मिलकर ध्यान देने और सहयोग का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ ये ऐसी चुनौतियां नहीं हैं जिनका समाधान कोई एक देश अकेले निकाल सके। इनके लिए समन्वय, विश्वास और प्रासंगिक सूचनाओं का समय पर आदान-प्रदान आवश्यक है। ’’
सीतारमण ने कहा कि कार्यान्वयन की समीक्षा करने, मानकों को विकसित करने और देशों को सहयोग देने में वैश्विक मंच की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि पारदर्शिता तभी प्रभावी एवं निष्पक्ष हो सकती है जब वह स्पष्ट नियमों, पारस्परिक सम्मान और साझा उद्देश्यों द्वारा निर्देशित हो।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ जैसे-जैसे काम आगे बढ़ेगा…हमारी सामूहिक जिम्मेदारी वर्तमान मानकों को और मजबूत करना होगी। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि आदान-प्रदान की गई जानकारी मापनीय परिणामों में परिवर्तित हों। कर प्रणालियों की अखंडता में निष्पक्षता, स्थिरता एवं जनता के विश्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने ने कहा, ‘‘ हम अलग-अलग क्षेत्राधिकारों और परंपराओं से आते हैं। हालांकि हम वैध आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने और कर चोरी को हतोत्साहित करने के साझा उद्देश्य को लेकर एकजुट हैं।’’
मंत्री ने कहा कि कर प्रणालियों में निष्पक्षता एवं मजबूती से पिछले दशक में भारत में स्वैच्छिक अनुपालन मजबूत हुआ है। भारत अनुपालन और जोखिम के व्यापक विश्लेषण के साथ आदान-प्रदान की गई जानकारी को एकीकृत कर रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी एवं कृत्रिम मेधा समय पर और कुशल तरीके से सूचना को समझने के अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन मुख्य बात ‘‘ निर्णय, जिम्मेदारी और प्रक्रिया के प्रति सम्मान’’ है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘ नवाचार को हमेशा जवाबदेही के साथ चलना चाहिए। यही वह संतुलन है जो प्रणालियों को मजबूती एवं विश्वसनीयता प्रदान करता है।’’