नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तिरुपरमकुंद्रम में स्थित पत्थर के एक दीप स्तंभ ‘दीपथून’ में दरगाह के निकट अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के श्रद्धालुओं को परंपरागत ‘‘कार्तिगई दीपम’ दीपक जलाने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को सहमति जताई।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील की दलीलों पर गौर किया और कहा कि याचिका को पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने पर विचार किया जाएगा।
पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किए जाने पर प्रतिवादियों के एक वकील ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल उच्च न्यायालय को यह बताने के लिए “अनावश्यक नाटक” कर रही है कि यह मुद्दा उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में लाया गया है।
हालांकि, सरकारी वकील ने कहा कि वह मामले का “केवल उल्लेख” कर रहे थे।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हम विचार करेंगे।”
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने बृहस्पतिवार को मदुरै जिला कलेक्टर और शहर के पुलिस आयुक्त द्वारा दायर एक अंतर-न्यायालयी अपील खारिज कर दी और एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें श्रद्धालुओं को दीपथून में ‘कार्तिगई दीपम’ दीप जलाने की अनुमति दी गई थी।
एक दिसंबर को न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन की एकल पीठ ने कहा था कि अरुलमिघु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर, उचि पिल्लैयार मंडपम के पास परंपरागत प्रकाश स्तंभ के अलावा, दीपथून पर भी दीप प्रज्वलित करने के लिए बाध्य है।
न्यायालय ने कहा था कि ऐसा करने से निकटवर्ती दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
जब आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ तो एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर को एक और आदेश पारित कर श्रद्धालुओं को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इसके बाद राज्य सरकार को शीर्ष न्यायालय का रुख करना पड़ा।