नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की उस याचिका पर सुनवाई करने पर सोमवार को सहमति जताई जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए गठित जांच समिति को चुनौती दी है।
जांच समिति में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी वी आचार्य शामिल हैं।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय और दोनों सदनों के महासचिवों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात जनवरी 2026 की तारीख तय की गयी है।
राष्ट्रीय राजधानी में 14 मार्च को न्यायाधीश के आधिकारिक आवास के भंडारगृह में आग लगने के बाद जले हुए नोटों के बंडल बरामद किए गए थे।
उच्चतम न्यायालय न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें न्यायाधीश जांच अधिनियम द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत लोकसभा द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की वैधता को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में उन्हें हटाने के संबंध में प्रस्ताव पेश करने के लिए यह अनिवार्य है कि तीन सदस्यीय समिति का गठन लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए, न कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा एकतरफा रूप से।
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के अनुसार किसी भी सदन में न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव स्वीकार हो जाने पर अध्यक्ष तीन सदस्यीय समिति का गठन करेंगे जो उन आधारों की जांच करेगी जिन पर न्यायाधीश को हटाने (या आम भाषा में महाभियोग) की मांग की गई है।