नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की दो अनुषंगी कंपनियों के बाजार में सूचीबद्ध होने से लेकर महत्वाकांक्षी कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण में तेजी तक, कोयला क्षेत्र 2026 में बड़े बदलाव के लिए तैयार है।
महत्वाकांक्षी खनन सुधारों और अहम खनिजों की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ ही 2026 में हरित ऊर्जा की रफ्तार भी तेज रहेगी और इसे सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा।
भारत अपने महत्वाकांक्षी ‘विकसित भारत 2047’ लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है और केंद्र सरकार राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कोयला और खनन क्षेत्र में व्यापक सुधार लागू कर रही है।
इन बदलावों का लक्ष्य जटिल मंजूरी प्रक्रियाओं, कमजोर माल रवानगी व्यवस्था और सुरक्षा प्रोटोकॉल जैसी प्रमुख समस्याओं को दूर करना है, ताकि एक मजबूत और आत्मनिर्भर ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा सके।
ये पहल स्वच्छ ऊर्जा की स्वीकार्यता में तेजी लाएंगी, आयात पर निर्भरता कम करेंगी और 2047 तक 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी।
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मंत्रालय ऊर्जा सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए कई सुधारों पर काम कर रहा है, जिससे विकसित भारत के लक्ष्य हासिल किए जा सकें। इन सुधारों में आमतौर पर खनन सुधार और मंजूरी प्रक्रिया से जुड़े सुधार शामिल होंगे। रवानगी और सुरक्षा में भी सुधार होंगे।’’
स्वच्छ और अधिक कुशल ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक साहसिक कदम के तहत आने वाले वर्ष में देश का खनन क्षेत्र तकनीकी क्रांति से गुजरेगा। कोयला कंपनियां उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित खनन के तरीकों को अपना सकती हैं।
अधिकारी ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड की इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) को 2026 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) भी सार्वजनिक निर्गम लाने की तैयारी कर रही है।
आने वाले वर्ष में सरकार देश की बढ़ती ऊर्जा और रासायनिक जरूरतों को पूरा करने और आयात घटाने के लिए कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ा सकती है।
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों का रणनीतिक महत्व सामने आ गया है। स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक परिवहन, ग्रिड विस्तार और उन्नत विनिर्माण से बढ़ती मांग ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों, पोटाश और टंग्स्टन जैसे खनिजों को सामान्य कच्चे माल की जगह अब एक रणनीतिक संपत्ति में बदल दिया है।