कांग्रेस नेता शशि थरूर ने विपक्ष शासित राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी है। ये एक ऐसी सलाह है जो कि किसी भी विपक्षी नेता को पसंद आने वाली नहीं है क्योंकि विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से टकराव को प्राथमिकता देते हैं। थरूर का कहना है कि सत्ताधारी दल को देश का जनादेश प्राप्त है और उनके साथ मिलकर काम करने से ही राज्य की जनता की भलाई हो सकती है। ऐसा नहीं लगता कि विपक्षी दल शशि थरूर की सलाह को गंभीरता से लेंगे क्योंकि उनकी अपनी पार्टी ही अब उनकी विरोधी बन चुकी है। जो नेता अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गया हो, उसकी बात कौन सुनने वाला है।
देखा जाए तो उन्होंने देश की राजनीति की बहुत बड़ी समस्या की ओर ध्यान दिलाया है। ज्यादातर विपक्ष शासित राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के प्रति दुश्मन जैसा व्यवहार करती हैं। उनका कहना होता है कि जनता ने उन्हें प्रदेश चलाने का जनादेश दिया है, इसलिए वो ही तय करेंगे कि प्रदेश के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है। वो केंद्र सरकार के साथ काम करना अपनी राजनीति के लिए सही नहीं मानते हैं। उनकी इस सोच के कारण संबंधित राज्यों की जनता को नुकसान उठाना पड़ता है। अब तो राज्यों में यह चलन बढ़ता जा रहा है कि वो केंद्र सरकार की योजनाओं को अपने राज्यों में लागू नहीं करते हैं । उनको लगता है कि अगर इन योजनाओं से जनता को फायदा होगा तो केंद्र सरकार को उसका राजनीतिक फायदा मिल सकता है। केंद्र की योजनाओं का नाम केंद्र सरकार के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। इन योजनाओं के नाम से ही पता चल जाता है कि यह केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना है । दूसरी तरफ भाजपा की केंद्र सरकार भी इन योजनाओं का प्रचार करती है ताकि उसे प्रदेश की जनता का समर्थन मिल सके ।
सवाल यह है कि क्या पहले ऐसा नहीं होता था। सच तो यह है कि पहले केंद्र सरकार की ज्यादातर योजनाओं का नाम गांधी परिवार के किसी सदस्य के नाम पर ही होता था। योजना के नाम से ही पता चल जाता था कि ये योजना केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा चलाई गई है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद ज्यादातर केंद्र सरकार की योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री या राष्ट्रवादी नेताओं के नाम पर रखा है। कुछ योजनाओं के नाम में तो सिर्फ देश का नाम ही लिया गया है। इसकी ओर इशारा करते हुए थरूर कहते हैं कि केरल की वामपंथी सरकार ने कथित रूप से केंद्र सरकार की योजना को खारिज कर दिया है। थरूर ने केरल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि उसने केंद्र सरकार का फंड लौटा कर सही नहीं किया है।
थरूर दुबई में मंगलवार को अमृता न्यूज़ के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. वो वहां केरल के लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केरल दिवालिया हो गया है, स्कूल की छतें टपक रही हैं और डेस्क या ब्लैकबोर्ड के लिए पैसे नहीं हैं। उनका कहना है कि इसके बावजूद हम राजनीतिक रूप से शुद्ध बन रहे हैं और केंद्र सरकार के पैसों को ठुकरा रहे हैं। आगे वो कहते हैं कि ये पागलपन है. ये करदाताओं का पैसा है, हमारा पैसा है। देखा जाए तो वो बिल्कुल सही कह रहे हैं कि ये देश का पैसा है। केंद्र सरकार के पास जो पैसा है, वो पूरे देश की जनता से प्राप्त टैक्स का पैसा है। इस पर पूरे देश का हक होता है इसलिए अपनी क्षुद्र राजनीति के चक्कर में इस पैसे को ठुकराना गलत है। उनका कहना है कि वो अक्सर भाजपा की केंद्र सरकार से असहमत होते हैं लेकिन जनादेश का सम्मान करते हैं। वो कहते हैं कि वो सत्ताधारी दल से असहमत होते हैं, लेकिन वो फिर भी सत्ताधारी दल है । उनका कहना है कि जब देश ने उसे जनादेश दिया है, तो वो उसके साथ मिलकर काम करेंगे ।
वो कहते हैं कि अगर किसी योजना के साथ केंद्र सरकार की ओर से शर्तें आती हैं तो वो देखेंगे कि वो अपने विश्वास के अनुसार उन्हें कैसे लागू कर सकते हैं। मैं योजना के लिए पैसा लूंगा क्योंकि मेरी जनता को उसकी आवश्यकता है। वो कहते हैं कि राजनीतिक हठ की जगह आपसी सहयोग जरूरी है। उनका कहना है कि लोगों को सिर्फ सोच की शुद्धता में दिलचस्पी है लेकिन हम इस तरह से काम नहीं कर सकते । वो कहते हैं कि किसी ने चुनाव जीता है और केंद्र में सरकार बनाई है, आपने राज्य में चुनाव जीता है और सरकार बनाई है। अगर आपका राज्य केंद्र के लोगों से सहयोग नहीं करेगा तो आप कुछ भी कैसे कर पाएंगे । उनका कहना है कि आपको सच कहना होगा कि सहयोग हमारे हित में है, यह हमारे लोगों के हित में है, भारत और केरल दोनों के नागरिकों के हित में है। प्रधानमंत्री मोदी भी केंद्र और राज्य की सरकारों को एक टीम की तरह मिलकर काम करने को कहते हैं, वो इसे टीम इंडिया का नाम देते हैं। देखा जाए तो देश के हित में यही है कि केंद्र और राज्य मिलकर काम करे ताकि बेहतर परिणाम हासिल हो सके । केंद्र सरकार कितनी भी बढ़िया योजनाएं लेकर आ जाये, अगर राज्य उसे अपने यहां लागू नहीं करते हैं तो प्रदेश विशेष की जनता को फायदा नहीं मिलने वाला है। अगर राज्य सरकार योजना को अपने यहां लागू नहीं करती है तो राज्य की जनता का नुकसान होता है, क्या कोई भी राजनीतिक दल इससे इंकार कर सकता है।
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद राजनीतिक दलों में आपसी तालमेल खत्म सा हो गया है। विपक्षी दल मोदी सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं। अगर केंद्र सरकार विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव करती है तो उसे राज्यों को संसद में उठाना चाहिए और देश को बताना चाहिए कि उनके साथ कैसे भेदभाव किया जा रहा है। उड़ीसा में 2024 में सत्ता परिवर्तन हुआ है और वहां बीजू जनता दल को हराकर भाजपा ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ली है। इससे पहले मोदी सरकार और उड़ीसा की बीजू जनता दल की नवीन पटनायक की सरकार मिलकर काम कर रहे थे। दोनों के तालमेल से राज्य का विकास हो रहा था। इसके विपरीत बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु की राज्य सरकारों का केंद्र सरकार के साथ जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। इससे पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार हर मुद्दे पर मोदी सरकार के सामने खड़ी दिखाई देती थी। 2025 में केजरीवाल की दिल्ली की सत्ता से विदाई हो गयी है। वो अपने 10 साल से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार पर लगातार यह आरोप लगाते रहे कि केंद्र सरकार उन्हें दिल्ली में काम नहीं करने दे रही है।
केजरीवाल एक तरफ केंद्र सरकार पर काम करने से रोकने का आरोप लगा रहे थे, तो दूसरी तरफ उन्होंने कोरोना के दौरान सारे नियम-कानून ताक पर रखकर अपने लिये शीशमहल तैयार कर लिया। केंद्र सरकार की नाक के नीचे बैठकर उन्होंने यह कारनामा अंजाम दे दिया, तब उन्हें कोई नहीं रोक नहीं पाया । इससे साबित होता है कि वो बेमतलब का शोर मचा रहे थे। भारतीय संविधान में सबके अपने अधिकार हैं और कर्त्तव्य भी हैं। जनता को आप कुछ देर बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन वो जल्दी ही नेताओं की नीयत समझ जाती है। केजरीवाल के काम न करने के बहाने जनता को जैसे ही समझ आ गए, उसने केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से उखाड़ कर फेंक दिया। जो केजरीवाल प्रधानमंत्री बनने के सपने ले रहे थे, वो आज मुख्यमंत्री भी नहीं रह गए हैं। केंद्र के साथ मिलकर काम करने से राज्य का भला होता है तो राज्य में काम करने वाले दल को ही उसका राजनीतिक लाभ मिलता है। केंद्र में काम करने वाली पार्टी को भी फायदा होता है लेकिन राज्य में शासित दल के फायदे कम नहीं होते ।
भारत की जनता राजनीतिक दलों की सोच से कहीं ज्यादा समझदार और राजनीतिक रूप से जागरूक हो चुकी है। विपक्षी दल अपनी राजनीतिक सोच के कारण जनता से दूर होते जा रहे हैं, इसलिए भाजपा धीरे-धीरे राज्यों की सत्ता पर काबिज होती जा रही है। अपनी मूर्खता के कारण विपक्ष जनता का समर्थन खोता जा रहा है और वोट चोरी का आरोप लगा रहा है। कितनी अजीब बात है कि जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण कांग्रेस देश पर 55 साल तक राज करती रही, उसे आज पूरी व्यवस्था ही खराब नजर आ रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये व्यवस्था भी कांग्रेस द्वारा ही खड़ी की गई है।
भारत का संविधान राज्य और केंद्र में शक्तियों का ऐसा बंटवारा करता है कि दोनों जनता की सेवा करते रहे । दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं। शशि थरूर के बयान को सकारात्मक सोच के साथ समझने की जरूरत है। वो आज भी विपक्ष के नेता हैं और सरकार के विरोधी हैं। अंतर सिर्फ यह आ गया है कि वो मोदी सरकार का अंध विरोध छोड़कर उसके साथ मिलकर काम करने की सलाह दे रहे हैं। थरूर कोई नई सलाह नहीं दे रहे हैं बल्कि वो देश के संविधान का सार बता रहे हैं। हमारे महापुरुषों ने देश में संघात्मक लक्षणों वाली एकात्मक लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना की है। केंद्र को मजबूत बनाया है लेकिन राज्यों को मजबूर नहीं बनाया है। वो केंद्र सरकार की मदद के बिना भी अपनी व्यवस्था चला सकते हैं क्योंकि उनकी अपनी शक्तियां हैं। अगर केंद्र और राज्य मिलकर चलते हैं तो देश को फायदा होता है और देश के फायदे में ही राज्यों का फायदा है । राज्यों के फायदे में देश का फायदा है । जब राज्यों का फायदा होगा तो राज्य में शासन करने वाली राजनीतिक पार्टियों को ही इसका फायदा होगा । इसी आधार पर भाजपा आजकल विधानसभा चुनावों में डबल इंजन की सरकार का नारा लगाती है। केंद्र में उसकी सरकार चल रही है और राज्य में सरकार आने पर दोनों के मिलकर चलने की गारंटी होती है।
इसका दूसरा संदेश है कि विपक्ष की सरकारें केंद्र के साथ मिलकर काम नहीं करती हैं, जिसके कारण राज्य का विकास रुक जाता है। भाजपा देश की जनता को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि राज्य और केंद्र में जब एक पार्टी की सरकार होती है तो जनता के लिए फायदेमंद होती है। कई राज्यों में भाजपा लगातार सरकार बनाने में सफल रही है। इससे पता चलता है कि जनता भी धीरे-धीरे भाजपा के साथ जा रही है। देखा जाए तो शशि थरूर ने वर्तमान राजनीति का सच बताया है जिससे विपक्ष को ही नुकसान हो रहा है। वो एक तरह से विपक्ष की बिगड़ती हालत को सुधारने के लिए कड़वी दवा दे रहे हैं। विपक्ष को उनकी बात समझ आ जाये तो उसके लिए ही अच्छा होगा ।
राजेश कुमार पासी
